New Delhi : केंद्र सरकार ने आज गुरुवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के विनियमन के लिए राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया. इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि भविष्य में निर्वाचन आयुक्तों का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जायेगा जिसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | Delhi: Congress MP Randeep Singh Surjewala says, “Today was a black day…The Election Commission is the last independent body in the country to hold democratic and unbiased elections. PM Modi wants to make it ‘Modi Election Commission’…” https://t.co/v7b8MkbiES pic.twitter.com/l3iXi95wft
— ANI (@ANI) August 10, 2023
विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने विधेयक पेश किया
विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पुर:स्थापित किया. विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच उन्होंने यह विधेयक सदन में पेश किया. विधेयक का यह प्रावधान उच्चतम न्यायालय के मार्च के फैसले के विपरीत है जिसमें कहा गया था कि समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायाधीश शामिल होने चाहिए.
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, आज का दिन काला दिन था
कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर संविधान पीठ के आदेश को शिथिल करने का आरोप लगाया. कांग्रेस के सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, आज का दिन काला दिन था…चुनाव आयोग देश में लोकतांत्रिक और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली आखिरी स्वतंत्र संस्था है, पीएम मोदी इसे मोदी चुनाव आयोग बनाना चाहते हैं.
जान लें कि मौजूदा निर्वाचन आयुक्त अनूप चंद्र पांडे अगले साल 14 फरवरी को 65 वर्ष की उम्र होने के बाद अवकाशग्रहण करेंगे. वह 2024 के लोकसभा चुनावों की संभावित घोषणा से कुछ दिन पहले अवकाश ग्रहण करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2023 में फैसला दिया था
जान लें कि इस बिल के पास होने से देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के CJI की भूमिका समाप्त हो जायेगी. मामला यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2023 में फैसला दिया था कि इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पैनल द्वारा की जायेगी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बिल के लागू होने से पैनल से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया(CJI) बाहर हो जायेंगे. CJI के स्थान पर पैनल में प्रधानमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट मिनिस्टर शामिल होंगे.
केंद्र और SC के बीच पहले से ही खींचतान चल रही है
जानकारों का मानना है कि इस बिल से सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच नये सिरे से टकराव बढ़ेगा.जान लें कि जजों की नियुक्तियों से लेकर दिल्ली सेवा अधिनियम जैसे विवादास्पद कानून आदि मुद्दों पर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच पहले से ही खींचतान चल रही है. याद करें कि दिल्ली मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था और पुलिस को छोड़कर सभी सेवाओं को नियंत्रित करेगी. केंद्र सरकार ने बिल लाकर SC का फैसला पलट दिया.
चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर की जानी चाहिए
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को आदेश दिया था कि पीएम लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल CEC की नियुक्ति करेगा. 5 सदस्यीय बेंच ने कहा था कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी.
इसके बाद राष्ट्रपति मुहर इस पर मुहर लगायेंगे. कहा था कि यह यह नियम तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती. कहा था कि चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर की जानी चाहिए.