Chulbul
Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार का मंगलवार को एक वर्ष पूरा हुआ. अपनी पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने 10 योजनाओं का शिलान्यास किया. ये सभी योजनाएं राज्य के गरीबों, किसानों, विद्यार्थियों और महिलाओं पर केंद्रित हैं. इनमें से एक योजना जिसका मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से उल्लेख किया था, वह थी खाद्घ सुरक्षा योजना. मुख्यमंत्री ने कहा कि वे हर गरीब को भोजन उपलब्ध कराना चाहते है, ताकि राज्य का कोई भी व्यक्ति भूखा न सोये. साथ ही कुपोषण की समस्या को भी राज्य से समाप्त किया जा सके. लेकिन मुख्यमंत्री के अभिभाषण के अगले ही दिन बुधवार को जिला समाहरणालय स्थित जिला आपूर्ति कार्यालय में हर दिन की तरह गरीबों का लाइन लगी थी. सभी के मुंह पर एक ही बात थी, यहां न कोई सुनने वाला है, न कोई समाधान करने वाला.
जिला आपूर्ति कार्यालय न्यू ईयर मोड में
जिला आपूर्ति कार्यालय बुधवार से ही न्यू ईयर मोड में काम कर रहा है. अपनी समस्या लेकर आये सभी लोगों को विभाग में बैठे कर्मचारी जनवरी माह में आने को कह रहे थे. उनका कहना था कि फिलहाल अभी यहां कोई काम नहीं हो रहा है. जो भी काम करवाना है, सब जनवरी में होगा. अगर कोई कुछ आगे पूछला या जानना चाह रहा है, तो उन्हें विभाग की बाहरी दीवार पर चिपके 24 मार्केटिंग ऑफिसर्स के नंबर से संपर्क कर बात करने की सलाह दी जा रही थी.
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ऑनलाइन अप्लाई कर 22 माह से दौड़ रहे तहसीन
कार्यालय में राशन कार्ड के लिए आये तहसीन अहमद ने बताया कि उन्होंने दो वर्ष पहले राशन कार्ड के लिए अप्लाई किया था.17 फरवरी, 2019 को उन्हें एक्नॉलेजमेंट नंबर दिया गया था. पिछले 22 महीनों से वे लगातार कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं, पर कर्मचारी कभी इधर दौड़ाते हैं, तो कभी उधर.कई बार उनसे नये राशन कार्ड के लिए डॉक्यूमेंट भी जमा करवाया गया, पर कुछ भी नहीं हुआ.आज फिर कार्यालय के कर्मचारियों ने उन्हें अगले माह आने को कहा है.
2018 से चक्कर लगा रहीं है जीदन समद हटिया की रहने वाली जीदन समद की कहानी बहुत दर्दनाक है. उनकी सभी संतानें अलग-अलग हादसों में काल-कवलित हो गयीं.फिलहाल समद और उनके पति ने एक बेटी को गोद लिया है. 2018 में ही उन्होंने राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया था, पर अभी तक उनका कार्ड नहीं बना. कई बार वह पार्षद के पास भी गईं पर वहां से उन्हें जिला आपूर्ति कार्यालय भेज दिया जाता है. कार्यालय आने पर उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है. कर्मचारियों ने अब उन्हें भी जनवरी में आने को कहा है.
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कार्ड में सिर्फ पति का नाम, बाकी जोड़ने के लिए दौड़ रही जीनत
डोरंडा की जीनत परवीन ने बताया कि जब उनका राशन कार्ड बना, तो उसमें बस उनके पति का ही नाम था. जब उसमें परिवार के अन्य चार सदस्यों का नाम जुड़वाने के लिए अप्लाई किया, तो सिर्फ एक बच्चे का नाम जोड़ा गया. पिछले पांच साल से वह अपने परिवार के बाकी तीन सदस्यों का नाम जुड़वाने के लिए जिला आपूर्ति कार्यालय दौड़ रहीं हैं. जब संबंधित मार्केटिंग ऑफिसर राकेश वर्मा से बात की गयी, तो उन्होंने जवाब दिया कि उनकी पार्षद ने राशन कार्ड बनाने की लिस्ट भेजी है. अगर उसका लाम होगा तो उसे राशन कार्ड मिल जायेगा. आगे कुछ सवाल करने से पहले ही राकेश वर्मा ने फोन काट दिया.
हर बार दो दिन बाद बुलाते हैं कर्मचारी
माड़वाड़ी कॉलेज के पास रहनेवाली दो दोस्त नीलोफर नाज़ और अलीशा पिछले डेढ़ महीने से हर हफ्ते में दो दिन कार्यालय का चक्कर जरूर लगा लेती हैं, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों की तरह उनका नाम भी राशन कार्ड में जुड़ जाये. ईआरसीएमएस (ईलेक्ट्रॉनिक राशन कार्ड मैनेजमेंट) के जरिए उन्होंने ऑनलाइन अप्लाई भी किया है. पर कोई सुनवाई नहीं हो रही. जिला आपूर्ति कार्यालय जाने पर कर्मचारी उन्हें हर बार दो दिन बाद आने को कहते है. उनकी मुलाकात कभी भी कार्यालय के किसी अधिकारी से नहीं हुई है. नंबर मांगने पर कार्यालय की दीवार की ओर इशारा कर दिया जाता है. दीवार पर टंगे नंबरों पर संपर्क करने से कोई फोन नहीं उठाता है.
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