Jamshedpur (Anand Mishra) : कोल्हान विश्वविद्यालय के विभिन्न अंगीभूत कॉलेजों में इन दिनों नैक ग्रेडिंग को लेकर तैयारी चल रही है. इस बीच विश्वविद्यालय को यूजीसी से नैक का सी ग्रेड मिलने के बाद से कॉलेजों के भी होश उड़े हुए हैं. क्योंकि आधारभूत संरचना भले जितनी भी दुरुस्त कर ली जाय, जब तक शैक्षणिक और विद्यार्थियों के विकास पर फोकस नहीं होगा, तब तक नैक से बेहतर ग्रेड मिल पाना मुश्किल है. ऐसा कॉलेजों का मानना है. क्योंकि नैक की ओर से शोध, विद्यार्थियों को सपोर्ट तथा उनकी प्रगति पर ही सबसे अधिक अंक दिये जाते हैं.
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क्या है कारण
कोल्हान विश्वविद्यालय की ही तरह कॉलेजों में भी शोध कार्य की प्रगति धीमी है. विद्यार्थियों को आवश्यक सहयोग के अलावा उनकी प्रगति से संबंधित आवश्यक गतिविधियों को बढ़ावा देने में कॉलेज पूरी तरह सक्षम नहीं हैं. इसका एक बड़ा कारण शिक्षकों की भारी कमी भी बताया जा रहा है. विश्वविद्यालय समेत कॉलेजों में स्वीकृत पद की तुलना में करीब 25 प्रतिशत शिक्षक-शिक्षिकाएं ही कार्यरत हैं. शिक्षकों की कमी की वजह से शोध कार्य को भी बल नहीं मिल पा रहा है. शोध के लिए प्रोफेसर रैंक के शिक्षकों की आवश्यकता होती है, जबकि इस रैंक के शिक्षकों की यहां भारी कमी है. प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे कॉलेज चल रहे हैं.
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क्या कहते हैं प्राचार्य व अधिकारी
गोलमुरी स्थित एबीएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ विजय कुमार पीयूष ने कहा कि शिक्षकों की कमी तो है ही, उपयुक्त संसाधनों की भी कमी है. इस वजह से विद्यार्थियों की प्रगति से संबंधित गविधियां हों या शोध कार्य, उन्हें अपेक्षाकृत गति नहीं मिल पा रही है. चूंकि नैक ग्रेडिंग कराना अनिवार्य है, इसलिए इसकी तैयारी की जायेगी.
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ जयंत शेखर ने कहा कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है, लेकिन इसे दूर करने की दिशा में यथासंभव प्रयास किया जा रहा है. संविदा के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है, जिनके द्वारा कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है.