NewDelhi : एडिटर्स गिल्ड के बाद कांग्रेस आज गुरुवार को सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के मसौदे में नये संशोधन पर हमलावर हो गयी. कांग्रेस ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर चोरी- छिपे हमला करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की. खबर है कि नये मसौदे में सोशल मीडिया कंपनियों को उन समाचार-लेखों को हटाने को कहा गया है, जिन्हें पत्र सूचना कार्यालय द्वारा फर्जी माना गया है. विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी कहा कि संसद के आगामी सत्र में नियमों पर चर्चा की जायेगी.
सरकार खुद जज, खुद ज्यूरी और खुद ही पर फैसला सुनाएगी।
यह सरकार लोकतंत्र की ऑक्सीजन नली को काट रही है और चाहती है कि जितनी जल्दी लोकतंत्र खत्म हो जाए उतना अच्छा।
: @Pawankhera जी pic.twitter.com/xymAgVjuZZ
— Congress (@INCIndia) January 19, 2023
डिजिटल व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सरकार की बुरी नजर पड़ गयी है।
IT रूल में चालाकी से बदलाव लाए जा रहे हैं। किसी भी खबर को PIB द्वारा झूठा बताए जाने पर सरकार उसे डिजिटल व सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा सकती है।
मतलब – मेरा कातिल ही मेरा मुंसिफ है।
: @Pawankhera जी pic.twitter.com/Olc99XkAs9
— Congress (@INCIndia) January 19, 2023
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कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने मोदी सरकार की आलोचना की
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मंगलवार को मसौदा सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में एक संशोधन जारी किया, जिसे उसने पहले सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया था. मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए आईटी नियम का मतलब इमेज टेलरिंग (छवि गढ़ने) के नियम हैं.
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इसमें ऑरवेलियन बिग ब्रदर सिंड्रोम की बू आती है
खेड़ा ने यहां कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में पूछा कि अगर मोदी सरकार ऑनलाइन खबरों की तथ्य जांच करती है तो केंद्र सरकार की तथ्य जांच कौन करेगा? उन्होंने आरोप लगाया, इंटरनेट का गला घोंटना और पीआईबी के माध्यम से ऑनलाइन सामग्री को सेंसर करना मोदी सरकार की तथ्य जांच की परिभाषा है. उन्होंने कहा, एक अभूतपूर्व कदम में, जिसमें ऑरवेलियन बिग ब्रदर सिंड्रोम की बू आती है. मोदी सरकार ने खुद को ऑनलाइन सामग्री विनियमन के न्यायाधीश, पंच और निष्पादक के रूप में स्थापित किया है.
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मोदी सरकार के लिए प्रेस को कुचलना कोई नयी बात नहीं है
बता दें कि बिग ब्रदर की शब्दावली किसी भी ताकतवर या अति-नियंत्रित प्राधिकरण के आंकड़े और सरकार द्वारा निगरानी बढ़ाने के प्रयासों का वर्णन करने के लिए आम तौर पर बोली जाती है. यह वाक्यांश लेखक जॉर्ज ऑरवेल की किताब 1984 से लिया गया है. खेड़ा ने कहा कि संशोधन का अनिवार्य रूप से मतलब है कि पीआईबी की तथ्य-जांच इकाई ऐसी सामग्री को हटाने के लिए न्यायाधीश बन गयी है जो हो सकता है कि मोदी सरकार की छवि के अनुरूप नहीं हो. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार के लिए प्रेस को कुचलना कोई नयी बात नहीं है.
गोदी मीडिया अब ज्यादातर भारतीयों के मानस में घर कर गया है
खेड़ा ने दावा किया, लोकप्रिय शब्द गोदी मीडिया अब ज्यादातर भारतीयों के मानस में घर कर गया है और अब यह सरकार इसे गोदी सोशल मीडिया बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अभिव्यक्ति की आजादी पर इस चोरी -छिपे हमले और घिनौने नियंत्रण की कड़ी निंदा करती है. उन्होंने कहा, हम मांग करते हैं कि मसौदा आईटी नियमों में नये संशोधन को तुरंत वापस लिया जाये और संसद के आगामी सत्र में इन नियमों पर विस्तार से चर्चा की जाये.