Ranchi : नगर निकायों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को कम करने को लेकर चल रही उठापटक का मामला अब राजनीतिक रूप लेने लगा है. राज्य के महाधिवक्ता ने नगर निकायों के निर्वाचित मेयर, जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को कम बताते हुए नगर आयुक्त के अधिकारों को ज्यादा बताया है. उसका अब अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने विरोध जताया है. साथ ही झारखंड की सत्तारूढ़ हेमंत सरकार (जेएमएम), उसके सहयोगी कांग्रेस और आरजेडी पर नगर निकायों के अधिकारों का हनन करने का आरोप भी लगाया है. सोशल मीडिया में एक ट्वीट में भाजपा सांसद ने मेयर के अधिकारों को भी ज्यादा पावरफुल बताया है.
.@INCIndia @JmmJharkhand और @RJDforIndia झारखण्ड में गजब का लोकतंत्र चाहते हैं, जिसमें वास्तविक राज नौकरशाही का है। #कांग्रेस फ़्लैश बैक में जाये – जहां से भारत ने संविधान या सिस्टम लिया है वहां मेयर बहुत पावरफुल होते हैं।@BJP4Jharkhand @HardeepSPuri @KirenRijiju @yourBabulal
— Mahesh Poddar (@maheshpoddarmp) September 11, 2021
कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा- दोमुंहापन नीति पर कांग्रेस
सरकार पर पर जोरदार हमला करते हुए भाजपा सांसद ने कहा है कि पूरे देश में कांग्रेस पार्टी ढोल बजाती फिरती है कि 73वें-74वें संविधान संशोधन के जरिये स्थानीय निकायों को अधिकार देना का काम उन्होंने किया है, दूसरी तरफ झारखंड में कांग्रेसी साझेदारी वाली राज्य सरकार नगर निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन करने की फिराक में है. इसे दोमुंहापन ही कहेंगे न?
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फ्लैश बैक में जाकर संविधान को देखे कांग्रेस
जेएमएम, कांग्रेस, आरजेडी गठबंधन वाली सरकार झारखंड में गजब का लोकतंत्र चाहते हैं. ऐसा लोकतंत्र जिसमें वास्तविक राज नौकरशाही का है. कांग्रेस को नसीहत देते भाजपा नेता ने कहा, वह फ्लैश बैक में जाये, जहां से भारत ने संविधान या सिस्टम लिया गया है. वह देखे कि वहां मेयर ही बहुत पावरफुल होते हैं.
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महाधिवक्ता की राय के खिलाफ मेयर आशा लकड़ा ने भी किया है विरोध
बता दें कि रांची नगर निगम सहित प्रदेश के नगर निकायों में मेयर और नगर आयुक्त और अध्यक्ष और कार्यपालक पदाधिकारियों के बीच हो रहे विवाद पर महाधिवक्ता ने बीते दिनों एक राय सरकार को दी है. नगर विकास विभाग ने निकायों में जन प्रतिनिधियों और अधिकारियों के कार्य क्षेत्रों और अधिकार पर महाधिवक्ता से मंतव्य मांगा था. इस पर महाधिवक्ता ने अपनी राय देते हुए कहा है कि नगरपालिका अधिनियम के मुताबिक नगर निकायों में आयोजित होनेवाली पार्षदों की बैठक बुलाने का अधिकार केवल और केवल नगर आयुक्त/कार्यपालक पदाधिकारी/विशेष पदाधिकारी को है. अपने अधिकारों में हो रही कटौती को देखते हुए मेयर सहित कहीं निकायों के जनप्रतिनिधियों ने शुक्रवार को एक बैठक कर इसके खिलाफ हाईकोर्ट में जाने की बात भी कही है.