Ahmedabad : गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी द्वारा अपने पद से इस्तीफा दिये जाने की खबर है. माना जा रहा है कि सरकार और संगठन के बीच चल ही खींचतान के कारण विजय रुपाणी ने इस्पीफा दिया है. खुद विजय रुपाणी ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि वे पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहेंगे. उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि समय के साथ जिम्मेदारियां बदलती हैं.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष मार्गदर्शन मिलता रहा है
इस्तीफा देने के बाद विजय रुपाणी ने लिखित बयान पढ़ा. कहा कि भाजपा ने मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री जैसी अहम जिम्मेदारी दी. मैंने इस दायित्व को अच्छी तरह से निभाते हुए अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष मार्गदर्शन मिलता रहा है. प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में गुजरात समग्र विकास तथा सर्वजन कल्याण के पथ आगे बढ़ते हुए नए आयामों को छुआ है.
प्रेस कांफ्रेंस में भूपेंद्र यादव भी मौजूद थे. इस क्रम में श्री रुपाणी ने कहा, गुजरात के विकास की यात्रा में गत 5 वर्षों में मुझे योगदान करने का जो अवसर मिला उसके लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत आभारी हूं, आभार प्रकट करता हूं. उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि गुजरात के विकास की यह यात्रा प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में नये नेतृत्व के साथ नये उत्साह, नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़नी चाहिए. यह ध्यान रखकर मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री पद के दायित्व से त्यागपत्र दिया है.
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केंद्रीय नेतृत्व को नये चेहरे को सामने लाने का मौका मिलेगा
विजय रुपाणी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का भी धन्यवाद दिया. संगठन के टकराव की खबरों पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने मुझे जिम्मेदारी दी थी. मैंने उसे पूरी तरह निभाने का प्रयास किया. कहा कि भाजपा में यह स्वाभाविक प्रक्रिया है. अब केंद्रीय नेतृत्व को नये चेहरे को सामने लाने का मौका मिलेगा और मैं गुजरात की जनता के लिए काम करता रहूंगा.
रूपाणी सरकार की छवि कमजोर हो रही थी
रूपाणी ने शनिवार को राज्यपाल आचार्य देवव्रत को अपना इस्तीफा सौंपा. बताया जा रहा है कि रूपाणी और पार्टी संगठन में काफी दिनों से मतभेद चल रहा था. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल से उनकी अनबन चल रही थी. बताया जा रहा है कि पिछले साल ही संगठन ने रूपाणी के खिलाफ पार्टी को रिपोर्ट दी थी. राजनीतिक जानकारों का यह भी कहना है कि विजय रूपाणी के नेतृत्व में सरकार की पकड़ ढीली पड़ रही थी. कामकाज को लेकर रूपाणी सरकार की छवि कमजोर हो रही थी.