LagatarDesk : कोरोना महामारी में आम जनता का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया. जिसके कारण कई लोगों की नौकरियां छिन गयी. बिजनेस ठप हो गया. हालांकि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर गरीब तबके पर पड़ा है. ICE360 सर्वे 2021 के आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान गरीबों की आमदनी में 53 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी.
महामारी ने गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित किया
ICE360 सर्वे 2021 से पता चला कि महामारी ने शहर में रहने वाले गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित किया है. महामारी के दौरान उनकी आय ना के बराबर रही. हालांकि अमीरों की कमाई और संपत्ति में लगातार इजाफा देखने को मिला. रिपोर्ट की मानें तो आर्थिक उदारीकरण के बाद से सबसे गरीब 20 फीसदी भारतीय परिवारों की वार्षिक आय में बढ़ोतरी हो रही थी. रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 की तुलना में 2020-21 में सबसे गरीब तबके की वार्षिक आय में 53 फीसदी की कमी आयी है. दूसरी तरफ इसी अवधि में सबसे अमीर 20 फीसदी लोगों की वार्षिक आय में 39 फीसदी का इजाफा हुआ है.
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थिंक-टैंक और प्राइस ने किया सर्वे
आपको बता दें कि मुंबई स्थित थिंक-टैंक और पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी के ICE360 सर्वे 2021 में यह बात सामने आयी है. यह सर्वे अप्रैल 2021 से लेकर अक्टूबर 2021 के बीच हुआ. पहले दौर में सर्वे में 2 लाख घरों और दूसरे दौर में 42 हजार घरों को शामिल किया गया. यह रिपोर्ट 100 जिलों के 120 कस्बों और 800 गांवों के आंकड़ों पर आधारित है.
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आय के आधार पर जनसंख्या को किया गया विभाजित
सर्वे में आय के आधार पर जनसंख्या को पांच भागों में विभाजित किया गया है. पहले निम्न मध्यम श्रेणी की आय में 53 प्रतिशत घटी है. वहीं दूसरे निम्न मध्यम श्रेणी की आय में 32 प्रतिशत की गिरावट आयी है. जबकि तीसरे मध्यम आय वर्ग के लोगों की आमदनी 9 प्रतिशत घटी है.
कुल घरेलू आय में गरीबों की हिस्सेदारी घटकर 3.3 प्रतिशत पर पहुंची
सर्वे के अनुसार, यह भी पता चला कि सबसे अमीर (20 प्रतिशत) लोगों की आय 1995 में कुल घरेलू आय का 50.2 प्रतिशत थी. वहीं 2021 में उनका हिस्सा बढ़कर 56.3 प्रतिशत हो गया. दूसरी ओर सबसे गरीब 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी 5.9 प्रतिशत से गिरकर 3.3 प्रतिशत हो गयी.
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गांवों की तुलना में शहरी लोग ज्यादा प्रभावित
सर्वे में पता चला कि गांवों की तुलना में शहर में रहनेवाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि शहरों में गरीबों की संख्या में वृद्धि हुई है. हालांकि 2016 में सबसे गरीब 20 प्रतिशत में से 90 प्रतिशत लोग गांवों में थे. यह संख्या 2021 में घटकर 70 प्रतिशत हो गयी. दूसरी ओर शहरी क्षेत्रों में सबसे गरीब 20 प्रतिशत की हिस्सेदारी लगभग 10 प्रतिशत बढ़ गयी.
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