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Ranchi/ Hazaribagh : हजारीबाग जिले के बड़कागांव थाना में दर्ज कांड संख्या 135/16 को तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा के आवेदन से बदलकर अन्य लोगों को अभियुक्त बनाये जाने का मामला एक बार फिर चर्चा में है. तत्कालीन थाना प्रभारी रामदयाल मुंडा द्वारा FIR दर्ज करने के बाद मंटू सोनी ने इस मामले में परिवादवाद दायर किया था. जिसपर सुनवाई के बाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट शिवानी शर्मा की कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए संज्ञान लिया है. संज्ञान लेने के साथ हजारीबाग कोर्ट ने तत्कालीन थानेदार (वर्तमान मधुपुर इंस्पेक्टर रामदयाल मुंडा, तत्कालीन थानेदार अकील अहमद वर्तमान में स्पेशल ब्रांच मुख्यालय इंस्पेक्टर,तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी वर्तमान गढ़वा प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमुद झा,तत्कालीन इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह(अब सेवानिवृत्त) एनटीपीसी के तत्कालीन जीएम टी गोपाल कृष्ण पर धारा 166,166 ए,167 218 और 220 में संज्ञान लेते हुए समन जारी करने का आदेश दिया है. ( पढ़ें- कौन बनेगा कांग्रेस अध्यक्ष! भारत जोड़ो यात्रा बीच में छोड़ दिग्विजय पहुंचे दिल्ली, 30 सितंबर को कर सकते हैं नामांकन)
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रामदयाल मुंडा ने पद का दुरूपयोग किया
अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार,पवन यादव,रंजन कुमार ने कोर्ट को बताया कि परिवादवाद में दर्ज सभी आरोपी अधिकारी स्वयं अपने अपराध को अपने बयानों, केस रिकॉर्ड में उपलब्ध साक्ष्यों और कोर्ट गवाही में स्वीकरोक्ति बयानों से स्पष्ट कर चुके हैं. सूचक मंटू सोनी ने कोर्ट को बताया कि परिवादवाद संख्या 2252/15 के मामले में एफआईआर करने के कोर्ट के आदेश को पेंडिंग रखते हुए रामदयाल मुंडा ने पद का दुरूपयोग कर आपराधिक साजिश कर कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा के हस्तलिखित आवेदन को बदलकर मंटू सोनी के अलावे 29 अन्य लोगों को अभियुक्त बनाया है.
लिखित आवेदन को बदलकर टाइप करवाकर FIR किया
जिसकी पुष्टि खुद रामदयाल मुंडा ने केस डायरी के पैराग्राफ एक में कुमुद झा द्वारा हस्तलिखित आवेदन प्राप्त होने की बात लिख कर साबित किया है. वहीं कुमुद झा ने कोर्ट में अपने बयान में पुष्टि करते हुए कहा था उनके लिखित आवेदन को बदलकर थानेदार ने अपने मुंशी से टाइप करवाकर एफआईआर किया था. एफआईआर और कोर्ट में कुमुद झा का अलग-अलग सिग्नेचर है.
सिग्नेचर और डेट की लिखावट में भी फर्क
एफआईआर कॉपी में सिग्नेचर और डेट लिखावट कोर्ट में किए सिग्नेचर और डेट लिखावट में फर्क स्पष्ट नजर आ रहा है. इस प्रकरण में मंटू सोनी ने हज़ारीबाग़ सदर सीजीएम ऋचा श्रीवास्तव की अदालत में परिवादवाद संख्या 1644/22 दायर किया था. जिसके बाद परिवादवाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट शिवानी शर्मा की कोर्ट में ट्रांसफर किया गया. जिसमें तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद झा,थानेदार रामदयाल मुंडा,अकील अहमद,इंस्पेक्टर अखिलेश सिंह,एनटीपीसी के जीएम टी गोपाल कृष्णा सहित अन्य को आरोपी बनाया गया है.
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दंडाधिकारी कुमुद झा के आवेदन को बदलकर जोड़ दिया था अन्य लोगों का नाम
परिवाद में कहा गया है कि बड़कागांव के तत्कालीन थानेदार रामदयाल मुंडा ने तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी कुमुद कुमार झा द्वारा थाना में दिए आवेदन को बदलकर थाना के मुंशी से मंटू सोनी व अन्य अभियुक्तों के नाम लिखवाकर कुमुद झा से हस्ताक्षर करवा लिया था. कुमुद झा ने कांड संख्या 135/16 में ट्रायल के दौरान कोर्ट में दिए गवाही में स्वीकार किया है. जिसमें उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा थाना में दिए आवेदन में दो लोगों का नाम था. थाना प्रभारी ने मेरे आवेदन को हटाकर मुंशी से अन्य लोगों का नाम लिखवाकर हस्ताक्षर करवा लिया था, हज़ारीबाग़ सिविल कोर्ट की मजिस्ट्रेट शिवानी शर्मा की कोर्ट ने सूचक और गवाहों को सुनने के बाद कॉग्निजेंस बहस में अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार,पवन यादव को सुनने के बाद रामदयाल मुंडा,अकील अहमद,अखिलेश सिंह,कुमुद झा और एनटीपीसी के जीएम टी गोपाल कृष्ण के खिलाफ संज्ञान लिया है.
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