New Delhi : दिल्ली दंगों के अधिकतर मामलों में जांच का मापदंड बहुत निम्न स्तर का रहा है. ऐसे में इन मामलों में दिल्ली आयुक्त को दखल देने की जरुरत है. यह बात दिल्ली की एक अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए सोमवार को कही. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने कहा कि पुलिस आरोप पत्र भी ठीक से तैयार नही करती है, साथ ही जांच को तर्क संगत परिणाम तक ले जाने की कोशिश भी नहीं करती है. यही वजह है कि कई मामलों में नामजद आरोपी जेल में बंद हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ज्यादातर मामले ऐसे हैं जिसमें जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं हो रहे हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) विनोद यादव ने 25 फरवरी, 2020 को अशरफ अली और परवेज अली पर सांप्रदायिक दंगे के दौरान पुलिस अधिकारियों पर कथित रूप से तेजाब, कांच की बोतलें और ईंटे फेंकने को लेकर आरोप तय करते हुए यह टिप्पणी की है. न्यायाधीश विनोद यादव ने ‘कहा कि 2020 में उत्तर पूर्व में दंगे के बहुत सारे मामलों में जांच का स्तर घटिया देखकर बहुत दुख होता है.
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