- जमीन बेचे जाने का हो रहा चौतरफा विरोध
- बाढ़ू-बुकरू की करोड़ों की जमीन कौड़ी के भाव बेच दी
Pravin Kumar
Ranchi : कांके के बाढ़ू, बुकरू स्थित गौशाला की गोचर 15.95 एकड़ जमीन कम कीमत पर बेचे जाने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. गौशाला न्यास समिति के सदस्यों के साथ ही साथ मारवाड़ी समाज के लोग इस पर नाराजगी जताते हुए जमीन वापसी की मांग कर रहे हैं. सोशल मीडिया से लेकर सारे आम ट्रस्टी और पदाधिकारियों की कारगुजारियों को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. सभी का मानना है कि गड़बड़ घोटाला हुआ है. ऐसा नहीं होता तो कई गुना ज्यादा स्टांप शुल्क अदा कर जमीन की रजिस्ट्री क्यों करायी गयी. उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार, गौशाला की जमीन मात्र 7174 रुपये प्रति डिसमिल की दर से जुलाई 2021 में राजकुमार केडिया को बेच दी गयी और फिर उन्हें ट्रस्टी भी बना लिया गया. गौशाला न्यास समिति के सदस्य बताते हैं कि यह कृत्य न सिर्फ संविधान का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है, बल्कि घोर अनियमितता भी है.
करोड़ों की जमीन कौड़ी के भाव बेच डाली
सौ न्यास समिति के सदस्यों के साथ ही साथ मारवाड़ी समाज के लोगों का कहना है कि पहले तो गुपचुप तरीके से वर्ष 2013 में गोपालका प्रोजेक्ट से एग्रीमेंट किया गया. इसके बाद वर्ष 31 मार्च 2014 को 06.88 एकड़ जमीन (डीड नंबर-2526/1930) मात्र 48,62,500 रुपये में रजिस्ट्री कर दी गयी. इसके बाद 09.07 एकड़ गौशाला की बाकी बची जमीन राजकुमार केडिया और संजीव खीरवाल के नाम पर पूर्व के करार के अनुसार ही मात्र 7174 रुपये प्रति डिसमिल के भाव से 2021 में रजिस्ट्री की गयी. इस बात को लेकर 28 फरवरी को मोरहाबादी स्थित मान्या पैलेस में हुई आमसभा में सदस्यों ने कई सवाल उठाये थे. मनमानी कर जमीन बेचे जाने का मामले को लेकर हंगामा भी हुआ था. नोंक-झोक के बाद किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले ही आम सभा समाप्त करने की घोषणा कर दी गयी थी. इससे न्यास के सदस्यों के साथ ही साथ मारवाड़ी समाज के लोग काफी खफा हैं. ये लोग अब खुल कर बोल रहे कि जमीन बेचने से पहले न तो आम सभा हुई और न ही बैठक. ट्रस्टी और पदाधिकारी आपस में मिलीभगत कर गौशाला की करोड़ों की जमीन का कौड़ी के भाव सौदा कर दिया.
कोई दूध का धुला नहीं, गड़बड़ी तो हुई है : बेनीप्रसाद अग्रवाल
मारवाड़ी समाज से जुड़े बेनी प्रसाद अग्रवाल से पैसा और डोनेशन लेने के बाद भी उन्हें रांची गौशाला न्यास की सदस्यता नहीं दी गयी. अग्रवाल बताते हैं कि 11 सौ रुपये का चेक और 21 हजार डोनेशन देने के बाद भी जब गौशाला न्यास समिति के ट्रस्टी और पदाधिकारी सदस्य नहीं मान रहे, तो जमीन के मामले में भला क्या कहा जा सकता है ? बात आ रही है, तो कुछ न कुछ तो गड़बड़ी हुई ही है. कोई भी दूध का धुला नहीं है. गौशाला की जमीन के सौदे के बार में मैं ज्यादा नहीं जानता. बस इतना पता है कि गोपालका से जमीन का एकरारनामा हुआ है. बाद में इन लोगों ने राजकुमार केडिया को कैसे जमीन बेच दी, यह नहीं जानता.
सच छुपता नहीं, चेहरे बेनकाब होने चाहिए : प्रकाश जैन
सच छुपता नहीं है. यदि गौशाला की जमीन गलत तरीके से बेची गयी है, तो पुन: गौशाला को जमीन वापस मिलनी ही चाहिए. दोषियों के चेहरे बेनकाब कर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करनी चाहिए. गौशाला न्यास ट्रस्ट के ट्रस्टी और पदाधिकारियों ने तानाशाही मानसिकता का परिचय देते हुए पहले तो 135 लोगों से पैसा लेकर भी उन्हें सदस्यता नहीं दी. आखिर पैसे लेकर भी सदस्यता नहीं देना कहां तक जायज है. अब तो जमीन की गलत तरीके से खरीद-बिक्री का मामला उजागर हो रहा है. ऐसे में यह कह देना कि जो कुछ भी हुआ या हो रहा वह सही है, इसका कोई भी समर्थन नहीं करेगा. सदस्य बनने के बाद भी सदस्यता नहीं देने से लेकर जमीन की सौदे में हेराफेरी से कोई इनकार नहीं कर सकता.
सभी आरोप निराधार, कोई गड़बड़ी नहीं हुई : रतन जालान
गौशाला न्यास समिति के चेयरमैन रतन जलान ने कहा कि शहर से सटे बाढ़ू, बुकरू स्थित गौशाला की जमीन सर्वसम्मति से निर्णय लेकर बेची गयी. इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं है. जो भी आरोप लगाया जा रहा सरासर गलत है. इस जमीन का सौदा 2013 में ही किया गया था. बाद में गोपालका के पीछे हट जाने के बाद राजकुमार केडिया और संजीव खीरवाल को जमीन रजिस्ट्री करायी गयी. बिल्कुल बेबुनियाद आरोप लगाया जा रहा है. बदनाम करने की साजिश है. गोपलका भी झूठ बोल रहा है. उसकी सहमति से ही राजकुमार केडिया को 2021 में जमीन की रजिस्ट्री की गयी थी. सहमति पत्र पर उसका हस्ताक्षर है.