इनकी उम्मीदों पर पानी फिरा : घूरन राम, मलखान सिंह, बड़कुंवर गगराई, शशिभूषण सामड, देवीधन टुडू
Satya Sharan Mishra
Ranchi : लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी की घोषणा से पहले दलबदल का खेल शुरू हो गया था. पिछले एक महीने में राज्य के कई बड़े नाम वाले नेताओं ने भाजपा का दामन थामा. इनमें कई पूर्व सांसद-विधायक शामिल थे. एक गीता कोड़ा सांसद हैं, उन्हें तो टिकट मिल गया, लेकिन बाकियों को टिकट नहीं मिला. पलामू के पूर्व सांसद घूरन राम, ईचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह, महेशपुर विधानसभा से दो बार भाजपा से चुनाव लड़नेवाले देवीधन टुडू दुबारा भाजपा में शामिल हुए. इससे पहले वर्ष 2022 में पूर्व मंत्री एवं विधायक बड़कुंवर गगराई और चक्रधरपुर के पूर्व विधायक शशिभूषण सामड भी लोकसभा चुनाव लड़ने का सपना संजोए भाजपा में शामिल हुए. गीता कोड़ा को छोड़ सबकी स्थिति यह हो गई है- दल तोड़ा, दिल तोड़ा, टिकट नहीं मिला. ना घर के रहे ना घाट के. पुराने दल वाले पूछ नहीं रहे और जहां गए हैं, वहां वैल्यू नहीं मिला.
पलामू के पूर्व सांसद घूरन राम ने 15 फरवरी को राजद छोड़कर भाजपा का दामन थामा. वर्ष 2006 में वह पलामू लोकसभा सीट से सांसद बने थे. वर्ष 2009 में राजद से, वर्ष 2014 में झाविमो से और वर्ष 2019 में राजद से चुनाव लड़ा. तीनों बार हार गए. दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे. इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे का पेंच फंसता देख उन्होंने पाला बदला और भाजपा में शामिल हो गए. चर्चा थी कि सांसद बीडी राम का टिकट कटेगा और उन्हें मिलेगा. लेकिन पार्टी ने वीडी राम को टिकट दे दिया. अब घूरन निराश हैं.
ईचागढ़ विधानसभा से तीन बार विधायक रहे मलखान सिंह उर्फ अरविंद सिंह भी टिकट की आस में 12 फरवरी को भाजपा में शामिल हुए. ईचागढ़ विधानसभा सीट से वह वर्ष 1999 से 2019 तक हुए सभी विधानसभा चुनाव लड़े. तीन बार जीत मिली. वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की पहले वाली पार्टी झाविमो से भी दो बार वर्ष 2009 और 2019 में चुनाव लड़े. झाविमो के विलय के वक्त वह भाजपा में नहीं आए. जब आए तो लगा इस बार टिकट मिलेगा, पर मिला नहीं. भाजपा ने इस बार भी जमशेदपुर से वर्तमान सांसद विद्तयु वरण महतो पर भरोसा जताया.
संथालपरगना के महेशपुर विधानसभा सीट से दो बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले देवीधन टुडू झामुमो में चले गए थे. सात फरवरी को झामुमो छोड़कर भाजपा में आ गए. पहले भी वह भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा में प्रदेश उपाध्यक्ष और पाकुड़ जिला अध्यक्ष की कमान संभाल चुके थे. राजमहल संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा लिए वे भाजपा में शामिल हुए, लेकिन भाजपा ने पूर्व विधायक ताला मरांडी को उतार दिया. अब देवीधन फिर से विधानसभा चुनाव की तैयारी करेंगे.
वर्ष 2022 में सिंहभूम के दो बड़े नेता बड़कुंवर गगराई और शशिभूषण सामड भाजपा में शामिल हुए थे. सिंहभूम के पूर्व सांसद और वर्ष 2019 में सिंहभूम सीट से भाजपा के प्रत्याशी लक्ष्मण गिलुआ के निधन के बाद सिंहभूम सीट के लिए भाजपा के पास चुनाव लड़ने के लिए बड़ा चेहरा नहीं था. उम्मीद थी दोनों में से एक को टिकट मिलेगी. लेकिन टिकट बंटवारे से ठीक पहले कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा भाजपा में शामिल हो गईं और खेल बिगड़ गया.
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