Ranchi : क्षितिज मूक बधिर स्कूल मध्य विद्यालय निवारणपुर में 10वीं तक की पढाई की मांग अभिभावकों ने की है. गुरुवार को उन्होंने कहा कि सामान्य बच्चों की तरह मूक बधिर बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिले. इस दिशा में सरकार ने अब तक कोई पहल नहीं की है. कहा कि राज्य में मूक बधिर बच्चों के लिए मात्र तीन ही स्कूल हैं. दो स्कूल रांची और एक स्कूल दुमका में हैं. लेकिन इन स्कूलों में मात्र आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की जाती है. अभिभावकों की मांग है कि दसवीं तक की पढ़ाई राज्य भर में सुनिश्चित की जाए.
बालिकाओं के लिए हॉस्टल की सुविधा नहीं
क्षितिज मूक बधिर मध्य विद्यालय के प्राचार्य अनिल कुमार लाल ने बताया कि हर साल हमारे स्कूल से सैकड़ों की संख्या में मूक बधिर विद्यार्थी आठवीं कक्षा पास करते हैं. लेकिन आठवीं कक्षा पास करने के बाद उन बच्चों के लिए रोजगार के कोई साधन का सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं है. स्कूल में बालकों के लिए हॉस्टल की सुविधा है, पर बालिकाओं के लिए हॉस्टल की सुविधा नहीं होने के कारण उनके परेशानी उठानी पड़ती है.
तेजी से बढ़ रही संख्या, पर व्यवस्था शून्य : अनिल कुमार लाल
प्राचार्य अनिल कुमार लाल ने बताया कि राज्य भर में तेजी से मूक बधिर विद्यार्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. लेकिन उनके शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार पर सरकार का ध्यान नहीं है. स्कूल में भी शिक्षकों की भारी कमी है. बेहतर शिक्षा के लिए आधारभूत संरचना दुरुस्त करने की जरूरत है. फिलहाल विद्यालय में 114 विद्यार्थी हैं, जिनमें 70 बालक और 42 बालिकाएं हैं. यह स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत पिछले 84 वर्षों से चल रहा है. साइन लैंग्वेज के माध्यम से विद्यार्थियों को स्कूल में शिक्षा दी जा रही है.
शिक्षा मंत्री से मिल चुके हैं अभिभावक
क्षितिज मूक बधिर मध्य विद्यालय निवारणपुर में पढ़ने वाली नेहा कुमारी के पिता अभिषेक कुमार बताते हैं कि अभिभावकों का प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से मिल चुका है. लेकिन शिक्षा मंत्री द्वारा अब तक सकारात्मक आश्वासन नहीं मिला है. कहा कि मूक बधिर विद्यार्थियों को शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए, ताकि वे अपने जीवन में बेहतर कर सकें.
सरकार को सकारात्मक पहल करनी चाहिए
अभिभावक भीमसेन महतो ने बताया कि मूक बधिर बच्चों के लिए अन्य बच्चों की तुलना में अधिक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए थी. लेकिन राज्य में अब तक मूक बधिर बच्चों को दसवीं कक्षा से भी वंचित रखा गया है. यह राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. मूक बधिर विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिले, इस दिशा में सरकार को सकारात्मक पहल करनी चाहिए.
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