Suraj Kumar
Hazaribagh: बिहार में तो पहले से ही डेंगू का प्रकोप है. अब यह झारखंड में भी तेजी से पांव पसारने लगा है. बिहार से सटे झारखंड के चौपारण में अब तक डेंगू के करीब 100 मरीज मिल चुके हैं. हालांकि यह सरकारी आंकड़ा नहीं हैं. लोग प्राइवेट इलाज करा रहे हैं. उसी में डेंगू की पुष्टि हुई है. वैसे भी चौपारण के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डेंगू की जांच नहीं होती है. संभावित संक्रमित मरीजों के ब्लड सैंपल लेकर बाहर जांच के लिए भेजे जाते हैं. यही हाल हजारीबाग सदर अस्पताल और शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है. सामुदायिक अस्पताल चौपारण में डेंगू जांच की किसी भी तरह की सुविधा नहीं है. इस वजह से स्थानीय पैथोलॉजी में एनएस वन किट से प्लेटलेट्स जांच की जा रही है. इसमें डेंगू की भी पुष्टि हो रही है और इलाज भी हो रहा है. स्थानीय पैथोलॉजी संचालक का कहना है कि लगभग एक माह में एनएस वन किट से जांच कर रहे हैं. इनमें अब तक सौ संभावित संक्रमितों में लगभग 20 मरीज के प्लेटलेट्स घटे हुए मिले. चौपारण स्थित अपोलो डायग्नोसिस क्लिनिक के संचालक कहते हैं कि इस इलाके में डेंगू की स्थिति भयावह है. इसके बावजूद कई संक्रमित मरीज जांच कराने में सिर्फ इसलिए कतरा रहे कि डेंगू का टेस्ट थोड़ा महंगा है. सामान्यत: बुखार की स्थिति में लोग मलेरिया और टायफाइड की जांच तक ही सीमित रह जा रहे हैं. ज्यादा तबीयत बिगड़ने पर डेंगू की जांच कराने को तैयार हो रहे हैं.
क्या कहते हैं डॉ. आरसी सिंह
डॉ आरसी सिंह कहते हैं कि एक माह से लगभग इस तरह के मरीज में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. आमतौर पर जांच में जब प्लेटलेट्स में जब कमी देखी जाती है, तो अन्य लक्षणों के आधार पर डेंगू का इलाज किया जाता है. हालांकि डेंगू जब शरीर को ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में पहुंचता है, तभी प्लेटलेट्स गिरता है. यह स्थिति यहां के मरीजों में देखी जा रही है. चौपारण के एक कपड़ा व्यवसायी सुमा वस्त्रालय के संचालक प्रवीण केशरी से टेलिफोनिक वार्ता हुई, उन्होंने बताया कि उन्हें भी डेंगू हुआ है. इसका इलाज गया के अस्पताल में करवा रहे हैं. ऐसे अन्य कई मरीज बाहर जाकर अपना इलाज करा रहे हैं.
हजारीबाग में मिले डेंगू के तीन मरीज
हजारीबाग में आरोग्यम अस्पताल के संचालक हर्ष अजमेरा ने बताया कि यहां फिलहाल डेंगू के तीन मरीज भर्ती हैं. इससे पहले दो मरीज स्वस्थ होकर जा चुके हैं. उन्होंने बताया कि बिहार से सटे इलाकों से आनेवाले संक्रमितों की संख्या अधिक है. हालांकि उनके अस्पताल में प्लेटलेट्स चढ़ाने की सुविधा है. पर्याप्त इलाज भी मिल जा रहा है. ऐसे में जो लोग घबरा कर बाहर चले जा रहे हैं, उन्हें यहां इलाज की सुविधाएं मिल सकती हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉक्टर भुवनेश्वर गोप का कहना है कि यहां जांच की सुविधा नहीं है. यहां भी डेंगू के मरीज होने की शिकायत आयी है. लेकिन जांच किए बिना पुष्टि नहीं हो सकती. हालांकि डेंगू को लेकर जिला मुख्यालय से कोई विशेष आदेश नहीं आया है.
भेजी गई थी स्वास्थ्य विभाग की टीम : सीएस
सिविल सर्जन डॉ एसपी सिंह ने कहा कि चौपारण में डेंगू फैलने की शिकायत मिली थी. वहां जिले से स्वास्थ्य विभाग की टीम भेजी गई थी. पूरे क्षेत्र में फॉगिंग भी कराई गई. एक नवंबर को फिर टीम भेजी जाएगी. फिर फॉगिंग कराई जाएगी. हालांकि डेंगू संक्रमितों का ब्लड सैंपल जांच के लिए रिम्स भेजी गई थी. उनमें किसी में भी डेंगू पॉजिटिव नहीं पाया गया. उन्होंने कहा कि टायफाइड और मलेरिया में भी प्लेटलेट्स घटते हैं. जब तक एलाइजा टेस्ट नहीं होगा, डेंगू नहीं कह सकते. एनएस वन किट से यह साबित नहीं हो सकता कि डेंगू का मरीज है. किट जांच में पॉजिटिव मरीज के ब्लड सैंपल की भी जांच रिम्स में कराई गई. लेकिन वहां डेंगू की पुष्टि नहीं की गई.
यहां डेंगू के जांच की सुविधा बहाल हो : सीटू
सीपीएम के जिला सचिव गणेश कुमार सीटू कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग पल्ला झाड़ने के फेर में है. इससे पहले कि जिले में डेंगू का प्रकोप बढ़े, इस मामले को हल्के में नहीं लेना चाहिए. ब्लड सैंपल रिम्स भेजा जा रहा है, जो लंबी प्रक्रिया है. तब तक मरीज को डेंगू के इलाज के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है. स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह कर यहां डेंगू के जांच की सुविधा कराने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि प्रखंडों में जिला मुख्यालय का एक पत्र भी भेजा गया है. इसमें स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया गया है. उसमें डेंगू की बात कही जा रही है. साथ ही तीन मरीजों का जिक्र भी है.