Ranchi : राजधानी रांची समेत राज्य भर में शिक्षा का स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. रांची समेत राज्य में जहां सरकारी स्कूलों की स्थिति दयनीय है. वहीं राज्य भर में कम्युनिटी स्कूलों की स्थिति काफी बेहतर है. यह हम नहीं राज्य के शिक्षाविद कह रहे हैं. शिक्षाविदों की मानें तो राज्य में कम्युनिटी स्कूलों की स्थिति पहले से अधिक बेहतर हुई है. शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है. स्कूलों में शिक्षकों की संख्या भी बेहतर है. शिक्षकों की संख्या शहरी क्षेत्र नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी अच्छी है. जबकि सरकारी स्कूलों में शहरी क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या जरूरत से अधिक है.
शिक्षकों की बहाली के बाद राज्य में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त हो जायेगी
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक महीने में एक दिन पढ़ाने पहुंचते हैं. झारखंड के कई ऐसे स्कूल हैं, जहां शिक्षक साल में मात्र 3 दिन 26 जनवरी, 15 अगस्त और सरस्वती पूजा में पहुंचते हैं. सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिलने का एक बड़ा कारण माना गया है. हालांकि राज्य सरकार ने शिक्षकों की बहाली के लिए जल्द 60 हजार वैकेंसी निकालने की घोषणा कर चुकी है. उम्मीद यही जताई जा रही है कि शिक्षकों की बहाली के बाद राज्य में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त हो जायेगी.
शिक्षक सिर्फ हाजिरी बनाने पहुंचते हैं
लेकिन कई ऐसे स्कूल हैं, जहां शिक्षक सिर्फ हाजिरी बनाने पहुंचते हैं. उन्हें शिक्षा से और विद्यार्थियों के सामाजिक, बौद्धिक के उत्थान से कोई सरोकार नहीं है. राजधानी रांची के छोटानागपुर गर्ल्स हाईस्कूल थड़पखना को उदाहरण स्वरूप ले सकते हैं. यहां शिक्षकों की संख्या काफी है, पर भवन जर्जर है और इसके अलावा बिजली, पानी, लैब, लाइब्रेरी, मैदान, शौचालय की स्थिति गंभीर है. स्कूल प्रबंधक को मेंटेनेंस के नाम पर शिक्षा विभाग मोटी रकम देता है. लेकिन इसका उपयोग स्कूल प्रबंधन कर पाने में पूरी तरह से विफल है.
कम्युनिटी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर
वहीं राजधानी के कम्युनिटी स्कूल की बात करें तो बेथेसदा गर्ल्स हाई स्कूल, गोसनर बॉयज हाई स्कूल, एलीबीपी बंगला स्कूल की स्थिति काफी बेहतर है. उन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी काफी तेजतर्रार हैं. शिक्षा के प्रति काफी सजग हैं. इन कम्युनिटी स्कूलों के रखरखाव से लेकर विद्यार्थियों की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर है. शिक्षकों का भी शिक्षा के प्रति समर्पण देखने को मिलता है. राज्य में 42 हजार सरकारी स्कूल हैं. जबकि लगभग 10 हजार कम्युनिटी स्कूल हैं. राज्य सरकार द्वारा 24 जिले में 325 मॉडल स्कूल का निर्माण करा रही है. यह मॉडल स्कूल प्रखंड स्तर पर बनाए जा रहे है. शिक्षाविदों का कहना है कि मॉडल स्कूल को कम्युनिटी स्कूल की तर्ज पर बनाया जाये. साथ ही इसके मेंटेनेंस और शिक्षा पद्धति को कम्युनिटी स्कूल की तर्ज पर विकसित की जाएं. ताकि विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा मिल सके.
जुलाई से अक्टूबर तक क्रमिक रूप से पूर्ण होगा निर्माण
राज्य सरकार 13 जिलों में कम से कम दो मॉडल स्कूलों के भवन का निर्माण पूर्ण कराने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है. इसमें से कई आकांक्षी जिला हैं, जहां स्कूल का निर्माण किया जा रहा है. जुलाई 2022 तक आदर्श हाई स्कूल खूंटी, केजीवीके गुमला, एसएस गर्ल्स स्कूल सिमडेगा, राज्यकीय कस्तूरबा गर्ल्स स्कूल लोहरदगा, गर्ल्स हाई स्कूल जामताड़ा, मॉडल स्कूल दुमका, केजीवीके दुमका, प्लस टू गर्ल्स हाई स्कूल दुमका, मॉडल स्कूल लातेहार, जिला स्कूल चाईबासा, मॉडल स्कूल टाटानगर, स्कॉट हाई स्कूल चाईबासा, केजीवीके गर्ल्स स्कूल सरायकेला का निर्माण पूर्ण होगा. वहीं अगस्त 2022 में विभिन्न जिलों में 22 स्कूल, सितम्बर 2022 में 26 स्कूल, अक्टूबर में 14 स्कूल एवं नवंबर में तीन स्कूल के भवन का निर्माण पूर्ण कर लिया जायेगा. भवन निर्माण कार्य के बाद स्मार्ट क्लास, डिजिटल लईब्रेरी, स्टेम लैब समेत पठन-पाठन के अत्याधुनिक संसाधन से सम्पन्न होंगे स्कूल.
शिक्षा की गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं आ रहा : शकलदीप भगत
खूंटी निवासी शिक्षाविद शकलदीप भगत ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए उठाए जा रहे कदम कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. विद्यार्थियों के शिक्षा की गुणवत्ता में कोई बदलाव नहीं आ रहा है. शिक्षा का स्तर तेजी से घट रहा है. शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए कम्युनिटीज स्कूलों की तर्ज पर सरकारी स्कूलों में मॉनिटरिंग की जरूरत है, तभी शिक्षा का स्तर राज्य में बढ़ेगा.
विभाग विद्यार्थियों को शिक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर नहीं : संजीव कुमार
रांची के शिक्षाविद संजीव कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग विद्यार्थियों को शिक्षा प्रणाली को लेकर गंभीर नहीं है. पश्चिम बंगाल, दिल्ली जैसे राज्यों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की होड़ लगी हुई है. सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की पैरवी आती है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पश्चिप बंगाल और दिल्ली के स्कूलों में किस प्रकार की पढ़ाई हो रही हैं. हम अच्छे स्कूलों से प्रेरणा ले सकते हैं.
अब शिक्षा बिकाऊ हो चुकी है : निशांत यादव
शिक्षाविद निशांत यादव ने बताया कि अब शिक्षा बिकाऊ हो चुकी है. लेकिन अब भी शिक्षा कई कम्युनिटी स्कूलों में मुफ्त में दी जा रही है. हालांकि कम्युनिटी स्कूल द्वारा एक निर्धारित शुल्क लिया जा रहा है. लेकिन यहां शुल्क देने में निम्न वर्ग का व्यक्ति भी सक्षम है. सरकारी स्कूलों में मॉनिटरिंग पूरी तरह से फेल है. जिसके कारण लगातार शिक्षा व्यवस्था खराब हो रही है. मंत्री, विधायक, बड़े नेताओं के राज्य में स्कूल खुलने से शिक्षा व्यवस्था लचर हो चुकी है. राज्य के अधिकांश बड़े स्कूल के मालिक राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता हैं.
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