Dhanbad : धनबाद के हीरापुर हरिमंदिर में हर बार की तरह इस साल भी दुर्गापूजा धूमधाम से मनाई जा रही है. यहां की पूजा का विशेष महत्व होता है. सभी अनुष्ठान बांग्ला रीति से होते हैं. यहां इस बार 90वां दुर्गोत्सव मनाया जा रहा है. दुर्गापूजा समिति ने निर्णय लिया है कि महासप्तमी को कोलाबो लाने व दशमी के दिन घट विसर्जन में 90 महिलाएं एक ही रंग की साड़ी पहन कर भाग लेंगी. यह जानकारी हीरापुर हरि मंदिर शारदीय सम्मेलनी दुर्गापूजा समिति के महासचिव पार्थ सारथी दासगुप्ता ने 29 सितंबर को प्रेसवार्ता में दी. कहा कि धनबाद में हरिमंदिर की दुर्गा पूजा सबसे पुरानी है. महानवमी और महादशमी के दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ विशेष बैंड की भी व्यवस्था की गई है.
बांस के ढांचे पर बनती है मां की प्रतिमा
उल्लेखनीय है कि हीरापुर हरि मंदिर की दुर्गा पूजा पूरे जिले में चर्चित है. यहां 9 दशक से पारंपरिक तरीके से दुर्गा पूजा मनाने की परंपरा आज तक चलती आ रही है. यहां देश की आजादी से 14 साल पहले वर्ष 1933 में दुर्गा पूजा शुरू हुई थी. पार्थ सारथी दासगुप्ता ने बताया कि हरिमंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा खास होती है. बांस के ढांचे पर दसकों से मां की प्रतिमा बनाने की परंपरा चली आ रही है. इस बार भी एक ही ढांचा पर देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी. मूर्तिकार दुलाल पाल मां की प्रतिमा को आकार दे रहे हैं. नवरात्र की महाषष्ठी तिथि को प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू हो जाएगी. दशमी के दिन महिलाएं सिंदूर खेला खेलकर मां को विदायी देने तालाब तक जाती हैं.
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विसर्जन के समय यादव समाज के लोग प्रतिमा को देते हैं कंधा
दुर्गापूजा समिति के महासचिव ने बताया कि विसर्जन के समय यादव समाज के लोग मां की प्रतिमा को कंधा देते हैं और तालाब ले जाते हैं. वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है. उन्होंने बताया कि इस बार पूजा पर 8 लाख रुपए खर्च होंगे. प्रेसवार्ता में समिति के अध्यक्ष पार्थो सारथी सेन गुप्ता, उपाध्यक्ष कृष्ण गोपाल डे, बबलू चटर्जी, कोषाध्यक्ष आशित देवधरिया आदि मौजूद थे.
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