Dhanbad / Maithan/Gomoh : कार्तिक पूर्णिमा पर मंगलवार 8 नवंबर को पूरे कोयलांचल में स्नान-ध्यान, पूजा अर्चना व दान-दक्षिणा सहित अनुष्ठान की धूम मची रही. झरिया के भौरा स्थित दामोदर नदी मोहलबनी घाट पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना व दान पुण्य किया.
मोहलबनी घाट पर डुबकी लगाने की होड़
मोहलबनी घाट पर श्रद्धालुओं ने कहा कि हिन्दू धर्म में कार्तिक माह का महत्व होता है. पूरा महीना भगवान विष्णु को समर्पित है. कार्तिक पूर्णिमा वर्ष के अन्य पवित्र पूर्णिमाओं में से एक है. इस दिन स्नान दान करने से घर-परिवार में सुख शांति बनी रहती है व रोग-व्याधि से मुक्ति मिलती है. विगत 2 वर्ष कोरोना काल के कारण श्रद्धालुओ को यह मौका नही मिला था. इस वर्ष मोहलबनी घाट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. इस घाट पर दूरदराज से लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंचते हैं. धनबाद जिला का यह सबसे बड़ा घाट है. श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व विधि-व्यवस्था के लिहाज से जिला प्रशासन की ओर से पुलिस बल तैनात किया गया है.
मैथन डैम पर भी उमड़े श्रद्धालु
Maithan : कार्तिक पूर्णिमा पर मैथन डैम में स्नान,ध्यान एवं पूजा अर्चना के लिए मंगलवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. अलहे सुबह मैथन, चिरकुंडा, कुमारधुबी, निरसा, मुगमा, बराकर आदि जगहों से श्रद्धालु ने अपने छोटे-बड़े वाहनों से मैथन डैम पहुंच गए. स्नान-ध्यान कर श्रद्धालुओं ने डैम के छठ घाट पर सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना की. चंद्रग्रहण का सूतक लगने को ध्यान में रखते हुए श्रद्धालु समय पर सुबह डैम पहुंचे. कार्तिक मास में हर वर्ष मैथन डैम पर स्नान-ध्यान एवं पूजा-अर्चना के लिए महिला एवं पुरुष श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंचते हैं. सुरक्षा को देखते हुए घाट पर मैथन पुलिस एवं स्थानीय नाविक भी तैनात किए गए हैं, ताकि कोई अनहोनी न हो.
गोमो में जमुनिया नदी घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़
Gomoh: कार्तिक पूर्णिमा पर गोमो के जमुनिया नदी में प्रातः चार बजे से भारी संख्या में श्रद्धालु जुटे व आस्था की डुबकी लगाई. इसके बाद जीतपुर स्थित शिव मंदिर, दुर्गा मंडप व हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना कर दान पुण्य किया. पंडित गुडू झा ने बताया कि कार्तिक माह का काफी महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान दान से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है. गोमो के नित्यानंद मठ आश्रम में भजन-कीर्तन के साथ पूजा अर्चना की गई. खिचड़ी भोग का भी आयोजन किया गया, जिसमें बडी संख्या में बंगाली परिवार के लोग शामिल हुए.
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