Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) विगत 19 नवंबर को बेनीडीह मेन साइडिंग में सीआईएसएफ व कोयला चोरों की कथित मुठभेड़ के बाद क्षेत्र का माहौल गरम है. लोग प्रशासन पर उंगली उठा रहे हैं. सवाल किया जा रहा है कि इलाके में सीआईएसएफ का ही राज चलेगा या जिला प्रशासन की मशीनरी भी काम करेगी. इतनी बड़ी घटना हो गई और जिला प्रशासन में रस्म अदायगी के अलावा कोई हलचल क्यों नहीं है. परंतु मामला कुछ और ही है. दरअसल बीसीसीएल प्रबंधन जिला प्रशासन की सुनता ही नहीं है. वह ऊपर वाले की सुनता है. यह ऊपर वाला कौन है, उसके विवरण में गए बगैर कहा जा सकता है कि डीसी संदीप सिंह के निर्देश को बीसीसीएल प्रबंधन तवज्जो नहीं दे रहा है.
डीसी की नहीं सुनी बीसीसीएल प्रबंधन ने
हाल ही कोयले का अवैध उत्खनन रोकने के लिए जब कार्रवाई की बात उठी थी तो डीसी ने बीसीसीएल के सीएमडी को पत्र लिख कर कई जरूरी निर्देश दिये थे. जानकारों का कहना है कि उन निर्देशों पर अमल किया जाता तो बेनीडीह में उतनी बड़ी और नृशंस कार्रवाई की जरूरत ही नहीं होती. परंतु बीसीसीएल प्रबंधन ने डीसी की नहीं सुनी. प्रबंधन कान में तेल डालकर सोया रहा. नतीजा 19 नवंबर को बाघमारा के बेनीडीह कोल साइडिंग में देखने को मिला, जहां सीआईएसएफ जवानों की फायरिंग से 4 लोगों की मौत हो गई.
क्षेत्र में अनधिकृत व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगाएं
जानकारों का कहना है कि उपायुक्त ने बेनीडीह साइडिंग में कोयले के अवैध खनन के बारे में बीसीसीएल सीएमडी समीरन दत्ता को पहले ही दो बार पत्र लिख कर आगाह किया था. पत्र में सुझाव दिया था कि क्षेत्र में अनधिकृत व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगाएं. उन्होंने अपने तीसरे पत्र में भी दोनों पत्रों का हवाला देते हुए निर्देशों को लागू करने पर जोर डाला था. कहा गया था कि बीसीसीएल के विभिन्न प्रोजेक्ट में अवैध उत्खनन, परिवहन, कोयला, चोरी, रंगदारी, वसूली की रोकथाम के लिए सख्त कदम उठाएं. कोल एरिया में बाहरी लोगों के प्रवेश पर भी रोक लगानी चाहिए. कोल इंडिया, बीसीसीएल और चीफ विजिलेंस विभाग सख्ती से सुरक्षा नियमों का पालन करे.
सीआईएसएफ के डीआईजी की बात से हुई हलचल
जानकार बताते हैं कि सीआईएसएफ के डीआईजी ने हाल ही में बेनीडीह कांड की जांच मानवाधिकार आयोग से कराने की बात कही थी. इसके बाद ही धनबाद के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी चौकन्ने हो उठे हैं. उन्हें लगा कि ऐसा हुआ तो जांच की परिधि में यह तबका भी आ सकता है. यही कारण है कि कोयला खदानों की सुरक्षा में लगे सीआईएसएफ और जिला प्रशासन एक दूसरे पर तीर चला रहे हैं. इधर बीसीसीएल प्रबंधन मूकदर्शक बना हुआ है.
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