Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) शहर के बरटांड़ स्थित बस स्टैंड के सौन्दर्यीकरण की योजना धरी की धरी रह गई. योजना के बारे में न तो अब निगम के अधिकारी मुंह खोलने को तैयार हैं और न ही इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ही कुछ बताना चाहता है. इधर बस स्टैंड में अव्यवस्था यात्रियों को रोज रू ब रू होना पड़ता है. दो साल पहले बस स्टैंड जिला परिवहन विभाग से अलग होकर नगर निगम के अधीन किया गया. इसके बाद नगर आयुक्त सतेंद्र कुमार ने बस स्टैंड के सौन्दर्यीकरण की बात कही थी. नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजने तथा वहां से स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर कराने की बात भी कही गई थी. परंतु अब उन बातों का क्या, जब सभी इस बारे में अनभिज्ञता जताते हों.
जवाब देने में आनाकानी करते रहे अधिकारी
बस स्टैंड से जुड़े सवाल पर निगम के अधिकारी बगलें झांकने लगते हैं. सोमवार 29 अगस्त को लगातार संवाददाता ने जब इस सवाल का जबाब ढूंढने की कोशिश की तो उधर से सलाह दी जाने लगी. सहायक नगर आयुक्त प्रकाश कुमार ने कहा वह सिर्फ राजस्व का काम देखते है. बस स्टेंड के सौन्दर्यीकरण का उन्हें कुछ पता नहीं है. बड़े साहब से बात कर लीजिये. बड़े साहब मतलब नगर आयुक्त सतेंद्र कुमार. परंतु बड़े साहब दफ्तर से नदारद मिले. पता चला वह आज रांची चले गए हैं. किसी ने कहा बस स्टैंड की जानकारी कार्यपालक अभियंता चमकलाल मंडल दे सकते हैं. उनके पास जाने पर भी कोई जबाब नहीं मिला. वह भी मामले से अनभिज्ञ थे. कहा सिविल वर्क जो देखते है, वही जानकारी दे सकते हैं. कनीय अभियंता महेश भगत से बात हुई, तो उन्होंने कहा बस स्टैंड का सौन्दर्यीकरण तो नहीं, रीडेवलपमेंट होना है. पीपीपी मोड में काम होगा. लंबी प्रक्रिया है, कब पूरी होगी कहना मुश्किल है. अभी बस स्टैंड के पीछे जहां कचरा डंप होता है, वहां निजी खर्च पर पौधरोपण किया गया है. उसी सौन्दर्यीकरण की जानकारी है.
पार्किंग के टेंडर में भी निगम जला चुका है हाथ
धनबाद नगर निगम का सबसे कमाऊ पार्किंग स्थल बरटांड़ बस स्टैंड है. इस साल बस स्टैंड की बंदोबस्ती के लिए निगम तीन बार टेंडर निकाल चुका है. तीनों बार असफलता मिली. पिछले वर्ष बरटांड़ बस स्टैंड की बंदोबस्ती एक करोड़ छह लाख, 32 हजार रुपये में हुई थी. तीन माह एक्सटेंशन मिलने के बाद भी ठकेदार को 20 लाख रुपये का नुकसान हो गया. इस बार बेस प्राइज 90 लाख 11 हजार रुपये हो गया है. इसके बाद भी कोई रुचि नहीं ले रहा है.
2008 में परिवहन विभाग को मिला था स्टैंड
वर्ष 1960 से बस स्टैंड की जमीन बिहार राज्य परिवहन निगम के अधीन थी. झारखंड बनने के बाद संपत्ति को लेकर विवाद था. वर्ष 2008 में उसका भी फैसला हो गया. इसके बाद बरटांड़ बस स्टैंड झारखंड परिवहन विभाग को सौंप दिया गया. जिला परिवहन विभाग को हर साल इससे 40 से 50 लाख रुपये राजस्व की प्राप्ति होती थी. नगर विकास के आदेश पर अब बस स्टैंड निगम की संपत्ति हो गई है.
इंटर स्टेट बस टर्मिनल का सपना भी अधूरा
तत्कालीन मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने वर्ष 2018 में गुजरात के बड़ोदरा की तर्ज पर इंटर स्टेट बस टर्मिनल बनाने की घोषणा की थी. लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद यह योजना फेल हो गई. इसके बाद निगम के अफसरों ने कहा बस स्टैंड का कायाकल्प होगा. यात्रियों को सभी तरह की सुविधाएं मिलेंगी. स्टैंड पर वेटिंग हॉल, सार्वजनिक शौचालय, पेयजल सुविधा व वाहन वाशिंग सेंटर, एक छोटा मार्केट कांप्लेक्स के साथ सौन्दर्यीकरण की योजना बनी थी. परंतु सब कुछ धरी रह गई.
यह भी पढ़ें: धनबाद: बालू उठाव और बिक्री के अवैध कारोबार पर पुलिस नहीं लेती एक्शन