Gyan Vardhan Mishra
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) नीचे लहकती आग और ऊपर पटरी पर सरपट दौड़ती रेलगाड़ी. यह किसी हिन्दी फिल्म का शीर्षक नहीं, बल्कि सच्चाई है. डीसी लाइन अर्थात धनबाद-चंद्रपुरा रेलमार्ग की यही दास्तां है. आज से नहीं दशकों से यही राम कहानी दोहराई जाती रही है. 34 किलोमीटर लंबे इस रेल मार्ग पर कभी भी किसी बड़े हादसे की संभावना से कतई इनकार नहीं किया जा सकता.
केंद्र सरकार के दो उपक्रमों में ही मतैक्य नहीं
इसके लिए जिम्मदार है केंद्र सरकार के ही दो उपक्रमों में मतैक्य की कमी, जो किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है. कोयलांचल मुख्यालय धनबाद में स्थापित खान सुरक्षा महानिदेशालय खानों की सुरक्षा व खतरनाक पॉइंट के बारे में संबंधित विभागों को सूचना देता है, संभावित खतरे के प्रति आगाह करता है. रेल मंत्रालय हो या कोल कम्पनियां दोनों तदनुसार निर्णय करती हैं. खान सुरक्षा महानिदेशालय के डायरेक्टर जनरल (माइंस सेफ्टी) प्रभात कुमार का कहना है कि झरिया की आग के कारण रेल लाइन को खतरा है. सिफंर की जांच कराई जा रही है, जिसके बाद धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को कभी भी बंद किया जा सकता है. इस रेल खंड पर आग का खतरा लगातार बढ़ रहा है, जो गंभीर चिंता का विषय है. इसको लेकर समय समय पर रेलवे के पदाधिकारियों को जानकारी दी जाती रही है.
2017 में बंद हुआ था परिचालन, फिर 2019 में शुरू
मालूम हो कि डीजीएमएस की रिपोर्ट पर 17 जून 2017 को धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया था. भूमिगत आग के कारण सरकार ने यह निर्णय लिया था. एक ही झटके में 26 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिये जाने से असंतोष और क्षोभ की ज्वाला लहर उठी थी. 20 माह के जबरदस्त आंदोलन के बाद 24 फरवरी 2019 को धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर फिर से ट्रेनों का परिचालन चालू किया गया. किन परिस्थितियों में इसे असुरक्षित घोषित किया गया और 20 माह में ही उसे सुरक्षित घोषित कर दिया गया, यह सवाल आज भी इलाके के लोगों के मन में कौंध रहा है. डीजीएमएस के ताजे कथन के बाद अब इस रेल मार्ग पर एक बार फिर से ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है.
ट्रैक के नीचे कहीं आग, कहीं दरार के साथ धुआं
धनबाद से चंद्रपुरा तक नीच कई स्थानों पर पटरी के निकट धधकती आग को देखा जाता है. धनबाद से खुलने के बाद ट्रेन कुसुंडा, बांसजोड़ा, सिजुआ, कतरास गढ़, सोनारडीह, फुलवारटांड़, जमुनिया टांड़ हाल्ट से गुजरती हुई चंद्रपुरा पहुंचती है. इनमें बांसजोड़ा, कतरास व कुसुंडा के पास रेल ट्रैक के नीचे आग लहकती है. ट्रैक पर 100 मीटर की दूरी में कई स्थानों पर दरार विद्यमान है. बांसजोड़ा रेलवे स्टेशन के समीप 100 मीटर के दायरे मे दरारें पड़ चुकी हैं और उससे आग की लपटों के साथ धुआं निकलता देखा जाता है. चूंकि धनबाद कोयलांचल के विभिन्न खानों से कोयला एकत्रित करने के लिये रेल परिवहन का जाल बिछा हुआ है. ऐसा रेल शाखाओं-उपशाखाओं की स्थिरिता छोटी-छोटी खानों में हो रहे खनन से प्रभावित होता आया है और कई साइडिंग में धंसान व पाट होने की घटनाएं होती रहती हैं.
किन परिस्थितियों में हुआ सुरक्षित-असुरक्षित का खेल
धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन के असुरक्षित घोषित करने के एक साल बाद ही किन परिस्थितियों में चालू कर दिया गया. इस सवाल के जवाब में बीसीसीएल सूत्रों का कहना है कि इस मामले में उनलोगों की कोई भूमिका नहीं रहती है. उस लाइन को नीचे आग के कारण डाइरेक्टर जेनरल माइन्स सेफ्टी ( डीजीएमएस ) ने असुरक्षित कहा था और ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया गया था. बाद में रेल बोर्ड ने ट्रेन चलाने का निर्णय किया.
डीजीएमएस की घोषणा हाई लेवल साजिश : विजय झा
बियाडा के पूर्व अध्यक्ष और कतरास निवासी विजय कुमार झा का कहना है कि कोयला निकालने के लिये एक सोची समझी उच्चस्तरीय साजिश के तहत डीजीएमएस इस तरह का बयान दे रहा है. कोयला निकलने के उद्देश्य से रेल सेवा को फिर से बाधित करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है. डीसी रेल मार्ग खतरनाक है तो इसके आकलन के लिए डीजीएमएस रीयल मॉनिटरिंग सिस्टम क्यों नहीं लगाता है. पहले बांसजोड़ा कोलियरी में 75 फीट जमीन के नीचे लगा था. प्रोजेक्ट मैनेजर के कक्ष में भी था. परंतु गोपनीय तरीके से सब हटा लिया गया.
यह भी पढ़ें: धनबाद: मुझको यारो माफ करना, मैं नशे में हूं…