Mithilesh kumar
Dhanbad: जिले में कोरोना के मरीजों के इलाज-सुविधा के दावों और हकीकत में जमीन – आसमान का फर्क है. सरकारी घोषणाओं, प्रशासन के दावों और जमीन पर जो है, उसमें कोई मेल नहीं दिखता. लगातार ने दावों को परखने की कोशिश की –
ऐसा है दावा
जिला प्रशासन ने सर्किट हॉउस में कोविड वार रूम बनाया है. यहां होम आइसोलेशन के नोडल पदाधिकारी डॉ. जफरुल्ला, टेली मेडिसीन के नोडल पदाधिकारी डॉ राजीव तथा आईटी सेल के नोडल पदाधिकारी शकुन बैठते हैं. डॉ जफरुल्ला ने लगातार को बताया कि 50 साल से कम उम्र के लोगों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है. शहरी क्षेत्र के संक्रमितों को आइसोलेशन के समय सदर अस्पताल से मुख्यमंत्री कोरोना राहत किट दी जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों में किट पहुंचाने की जिम्मेवारी सहियाओं को दी गई है. वीडियो या ऑडियो कॉल से होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के स्वास्थ्य की जानकारी ली जाती है. सुबह 10 से रात 10 बजे तक यह सेवा उपलब्ध है. डॉ राजीव ने कहा कि एक दिन में 150 कॉल आते हैं. सभी कॉल अटेंड करते हैं. लोगों के स्वास्थ्य के अनुसार दवा देते हैं. साथ ही स्वास्थ्य संबंधी भ्रांतियों को भी दूर करते हैं. शकुन बताते हैं कि अभी जिले में कुल 247 लोग होम आइसोलेशन में हैं .
हकीकत यह है
लगातार ने होम आइसोलेशन में रह कर इलाज करा रहे 10 लोगों से सम्पर्क किया. जिसमें चार लोगों से फोन पर बात हुई. तीन का कहना था कि कोविड वार रूम से सिर्फ एक बार हालचाल जानने के लिये कॉल आया था. इसके अलावा कोई अन्य कोई सुविधा नहीं मिली. लोगों ने निजी डॉक्टर की देखरेख में इलाज कराया. अब ठीक हो गए हैं . सिर्फ एक ने कहा कि उनकी माँ स्वास्थ्य विभाग में काम करती हैं , इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री कोरोना राहत किट मिल गया. इसमें कुछ दवाइयां थी. स्वास्थ्य विभाग के अलावा उनके पास नगर निगम से फोन आया था. वे घर को सेनेटाइज करने आए थे., लेकिन कंटेन्मेंट जोन का पोस्टर चिपका कर चले गए. सेनेटाइजेशन नहीं किया.
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