Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) के जोड़ाफाटक रोड स्थित शक्ति मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन 4 अगस्त को राधे कृष्ण संकीर्तन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. कथावाचिका देवी कृष्णप्रिया जी ने ज्ञान, भक्ति, वैराग्य और मोक्ष की विवेचना की. व्यास नारद संवाद, परीक्षित जन्म, वस्ता के दस लक्षण, रसिका भूवि भाविका, कुन्ती चरित्र व विदुर मैत्री प्रसंग का वर्णन किया. कहा की श्रीमद्भागवत कथा सुनने से अनंत जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है. मनवांछित फल की प्राप्ति होती है और कोई कुछ न मांगें तो मोक्ष की यात्रा कराती है. कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान के 12 अंग हैं और श्रीमद्भागवत में 12 स्कंध हैं. भागवत कथा की शुरुआत ‘ज’ से हुई है.
भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती
मधुर भजनों का गायन करते हुए कृष्णप्रिया जी ने कहा कि भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती. आपको अभी से भक्ति शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि जीवन बहुत अल्प है. उन्होंने धुव्र चरित्र का विस्तार से वर्णन किया गया. नारद शिष्य ध्रुव ने अटल तपस्या से भगवान को पा लिया.
शिव-पार्वती विवाह की झांकी ने मोहा मन
कार्यक्रम में कोटा से विजय मीना झाकी ग्रुप ने शिव विवाह पर आकर्षक झांकी की प्रस्तुति दी. भगवान शिव की बारात आते ही बम बम बम बमलहरी से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा. भोलेनाथ भूत, पिशाच, सर्प और नंदी के साथ बाराती लेकर पहुंचे. भूत, पिशाच और नंदी को झूमते देख भक्त भी झूमने लगे. इसके बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को और और शिव ने माता पार्वती को वरमाला पहनाई. इसके बाद विवाह संपन्न हुआ वही भोले नाथ का विवाह हिमालय की पुत्री पार्वती से हुआ. आरती के बाद प्रसाद वितरण हुआ.
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