Maithon : गलफरबाड़ी ओपी क्षेत्र के एग्यारकुंड सियारकनाली गांव की नाबालिग खुशी कुमारी (17) के फांसी लगाकर आत्महत्या मामले में पुलिस की करतूत की सर्वत्र निंदा हो रही है. दर्ज एफआईआर में पुलिस ने मृतका को बालिग दर्शाया है. मामले में प्रेमी राहुल बाउरी को तो नामजद आरोपी बनाया गया है, लेकिन उसके पिता को छोड़ दिया गया है. पुलिस की इस कार्रवाई से मृतका के परिजनों में आक्रोश है. परिजनों का आरोप है कि पुलिस दोषियों को बचाने में लगी हुई है.
10वीं के सर्टिफिकेट के अनुसार उम्र 17 साल
स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार मृतका मुगमा हाई स्कूल से दशवीं पास है। उसके एडमिट कार्ड में जन्मतिथि तीन फरवरी 2006 अंकित है, जिसके आधार पर उसकी उम्र 17 वर्ष से भी कम है. जबकि दर्ज एफआईआर में उसकी उम्र 18 वर्ष दर्शाई गई है. मृतका के पिता ने बताया कि वो पढ़े-लिखे नहीं हैं. पुलिस ने ही किसी व्यक्ति से आवेदन लिखवाया था, जबकि मैंने बेटी की उम्र 17 वर्ष बताई थी. इधर, लोगों का कहना है कि आरोपी राहुल को बचाने के लिए पुलिस ने ऐसा किया है, इससे पहले भी राहुल ने खुशी को परेशान किया था और उसे जेल जाना पड़ा था. तब उसपर पोक्सो एक्ट लगा था. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने गंभीरता से साक्ष्य नहीं जुटाया, इसलिए उसे डेढ़ माह में ही जमानत मिल गई. इस बार भी उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है. कहा कि राहुल के पिता को भी एफआईआर में नामजद आरोपी बनाना चाहिए था, लेकिन पुलिस ने छोड़ दिया. ज्ञात हो कि 13 नवंबर को दोपहर तीन बजे खुशी ने घर में दुपट्टे से फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली थी.
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आवेदन में उम्र पर नजर नहीं पड़ी : ओपी प्रभारी
गलफरबाड़ी ओपी प्रभारी संजय उरांव ने कहा कि राहुल को पोक्सो एक्ट में जेल भेजा गया था. आत्महत्या मामले में दिए गए आवेदन में किशोरी की उम्र पर नजर नहीं पड़ी. अनुसंधान में स्कूल सर्टिफिकेट की जांच कर उम्र कम कर दी जाएगी.
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