इंदिरा चौक से धनसार तक के लोगों की बुझती है प्यास
दशकों से जुगाड़ तकनीक से हो रहा समस्या का निदान
Ranjit Kumar Singh
Dhanbad : संयुक्त बिहार के जमाने से ही सूबे के समृद्ध शहरों में झरिया का नाम शामिल था. इस क्षेत्र को कोल कैपिटल, माफिया सिटी, आग की धरती समेत कई नाम समय-समय पर मिलते रहे हैं. राजनीतिक समृद्धता भी यहां खासी गहरी रही है. इसके बावजूद यहां के बाशिंदे आज भी परेशान हैं. कोयला राजधानी झरिया में लाखों की आबादी को आज भी पानी मुश्किल से नसीब होता है. सुबह उठकर सबसे पहले कतार में बाल्टी-बर्तन लगाने, फिर नल से पानी गिरने का इंतजार, बिजली कहीं धोखा न दे जाए… आदि पहलुओं के बाद दो-चार गैलन भी पानी मिल गया तो शुक्रिया… जी हां, दशकों से जल समस्या को लेकर झरिया का यही हाल है. लाखों की आबादी पानी की समस्या से निजात पाने के लिए जुगाड़ लगा रखी है. जहां जुगाड़ नहीं है, फिर वहां पानी के लिए आंदोलन. शहर की पूरी आबादी माडा की जलापूर्ति पर ही निर्भर है. बिजली, मोटर, पाइप, लीकेज से लेकर माडा कर्मियों के वेतन भुगतान में भी कोई समस्या हुई, तो पानी सप्लाई रुक जाना यहां की पुरानी परंपराओं में शामिल है.
ऐसे में यदि दो से तीन दिन पानी की सप्लाई बंद हुई, तो फिर हाहाकार मचना स्वाभाविक है. झरिया की प्यासी जनता सड़कों पर गर्मी में तो लगभग हर साल ही उग्र आंदोलन करती आ रही है. दामोदर नदी पर बने जामाडोबा ट्रीटमेंट प्लांट से पूरे शहर में जलापूर्ति होती है. पहले पानी को आरएसपी कॉलेज के पास जलागार में भंडारण किया जाता है. इस भंडारण के लिए 40 इंच का पाइप बिछाया गया है, जो शहर के झरिया-सिंदरी मुख्य मार्ग के किनारे से होकर गुजरता है. इसी पाइपलाइन से यदि पानी का जुगाड़ न लिया गया होता, तो शायद झरिया का एक बड़ा इलाका रेगिस्तान जैसा अहसास करने के लिए मजबूर हो जाता. यहां बता दें कि इन जुगाड़ों में किसी भी जनप्रतिनिधि का कोई रोल नहीं है. ये सारी व्यवस्थाएं खुद जरूरतमंद जनता ने अपने दम पर खड़ी की हैं.
लीकेज पाइपलाइन बनी वरदान
जुगाड़ की बात करें, तो असल में जलागार में भंडारण के लिए गए पाइप में लीकेज होने या फिर लीकेज करवाकर यहां से पानी की आपूर्ति की जाती है. क्योंकि इस पाइप में 24 घंटे पानी उपलब्ध रहता है. इसी कारण झरिया-सिंदरी मुख्य मार्ग पर आधा दर्जन स्थानों पर टंकी जैसा बना दिया गया है. जहां सप्लाई पाइप से लीकेज पानी रिसता और जमा होता रहता है. फिर यही पानी लोगों के घरों तक पहुंचता है. यहां लोग कपड़े भी धोते हैं, नहाते भी हैं और पीने का पानी भी ले जाते हैं. यह लीकेज पाइप असल में यहां के लाखों लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. यदि ये नहीं होते, तो शायद इन इलाके में रहने वाले लोग झरिया में पानी की दिक्कत को किसी रेगिस्तान के बाशिंदे से कम महसूस नहीं करते. इंदिरा चौक से लेकर धनसार चौक तक लगभग आधा दर्जन स्थानों पर ऐसे ही लीकेज पाइप लोगों के जीने का सहारा बने हुए हैं.