Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएनएमएमसीएच में मरीजों को जेनरिक दवा नहीं मिल रही हैं. मरीजों के परिजन बाजार से महंगी दवाएं खरीने को विवश हैं. इससे सबसे ज्यादा परेशानी गरीब मरीजों को हो रही है. मरीजों को सस्ती दवा उपलब्घ कराने के उद्देश्य से अस्पताल में वर्ष 2012 में जन औषधि केंद्र की शुरुआत हुई थी. तब अस्पताल प्रबंधन ने यहां 300 से अधिक तरह की जेनरिक दवाएं उपलब्ध कराने का दावा किया था. लेकिन अभी स्थिति यह है कि मरीज और उनके परिजन केंद्र पर जाकर जेनरिक दवा की मांग करते हैं, लेकिन नाउम्मीद होकर वापस लौट जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने रोज करीब 1500 मरीज पहुंचे हैं. वहीं, इंडोर में 400 मरीज भर्ती रहते हैं. इधर, अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण कुमार वर्णवाल ने दो टूक कहा कि दवा बेचना हमारा काम नहीं है.
जनऔषधि केंद्र के काउंंटर पर सिर्फ पेनकिलर
“लगातार” रिपोर्टर ने 2 मई को एसएनएमएमसीएच के जनऔषधि केंद्र का जायजा लिया. काउंटर पर दवा के लिए मरीजों की भीड़ थी. सभी कांटर पर बैठे कर्मचारी को डॉक्टर का लिखा पुर्जा थम रहे थे, लेकिन वह तुंरत उन्हें यह कहकर लौटा दे रहा था कि यहां दवा नहीं है, बाहर से खरीद लें. कुछ मरीजों को एक-दो एंटी बायोटिक व पेनकिलर दवा दी जा रही थी. मरीज के परिजन राहुल कुमार ने बताया कि दवा लेने आए थे, लेकिन नहीं मिली. मजबूरन बाहर से महंगी दवा खरीदनी पड़ रही है.
केंद्र संचालक की सफाई- 1 माह से नहीं हुई आपूर्ति
जनऔषधि केंद्र के संचालक ने कहा कि पिछले एक माह से ज्यादार दवाओं की आपूर्ति नहीं हो पाई है. यहां तक कि एंटीबायोटिक, मल्टी विटामिन, सीरप, बच्चों की दवाएं, मधुमेह व रक्तचाप की दवा की भी आपूर्ति नहीं हो रही है. 158 दवाओं का ऑर्डर दिया गया है.
कमीशन के चक्कर में डॉक्टर लिख रहे बांडेड दवाएं
बाजार में मिलने वाली ब्रांडेड दवाइयों की तुलना में जेनरिक दवाएं पांच से दस गुनी तक सस्ती होती हैं. जेनरिक दवाएं उत्पादक से सीधे रिटेलर तक पहुंचती हैं. इन दवाओं के प्रचार-प्रसार पर दवा कंपनियों को कुछ खर्च नहीं करना पड़ता. एक ही कंपनी की ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के मूल्य में काफी अंतर होता है. चूंकि जेनरिक दवाओं का मूल्य निर्धारण सरकार की निगरानी में होता है, इसलिए वह सस्ती होती हैं. जबकि ब्रांडेड दवाओं की कीमत कंपनिया खुद तय करती हैं. कमीशन के लालच में डॉक्टर मरीजों को ब्राडेड दवाएं ही लिख रहे हैं.
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