Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) पिछले सितंबर और अक्टूबर महीने लगातार बारिश ने धनबाद के किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. समय पर बोआई न होने से आलू की खेती पर गहरा असर पड़ा है. बारिश के कारण किसानों ने आलू की बोआई देर से की. नतीजतन पैदावार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. धनबाद के बाज़ार में बाहर के राज्यो से नया आलू आ गया है. किसानों को चिंता सता रही है कि समय के बाद पैदावार से आलू की कीमत नहीं मिलेगी.
अब तक पौधे ही नहीं उगे हैं
पूर्वी टुंडी की आलू उत्पादक अनारा देवी कहती हैं कि इस वर्ष सितंबर से अक्टूबर तक कई दिनों तक बारिश होती रही. इस कारण आलू की बोआई नहीं कर सकी. बोआई देर से होने के कारण अब तक पौधे ही नहीं उगे हैं. कई किसानों के खेत में पौधे अगर निकले भी तो काफी छोटे है. बोआई देर से होने के कारण फसल अच्छी होने की उम्मीद नहीं के बराबर है. खेती में जितना खर्च उन्होंने किया है, उस अनुपात में लाभ मिलने की संभावना नहीं है.
महंगा बीज और कम उत्पादन
इस बार आलू के बीज का दाम भी काफी अधिक था. पंजाब की उन्नत किस्म का आलू बीज यहां 36 से 38 रुपये प्रतिकिलो की दर से मिल रहा है. आगरा से आने वाला बीज 17 से 22 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से खरीदना पड़ा. अब बारिश और समय पर बोआई नहीं होने के कारण उत्पादन में गिरावट की आशंका सता रही है.
इस वर्ष आलू की खेती 30 प्रतिशत कम
धनबाद के आसपास के ग्रामीण इलाकों में इस वर्ष आलू की पैदावार में 30% की गिरावट है. किसान सुधीर रजक का कहना है कि हर वर्ष धनबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में 40 से 45 टन आलू की पैदावार होती थी. परंतु इस वर्ष समय पर बुवाई नहीं होने से तथा बदलते मौसम के कारण आलू की उपज अन्य वर्ष के मुकाबले लगभग 30 प्रतिशत कम होने की संभावना है.
अभी नये आलू के मूल्य 40 रुपये किलो
धनबाद के बाज़ारों में अभी नये आलू की कीमत 40 से 45 रुपये प्रति किलो है. समय के साथ कीमत में गिरावट होगी. किसानों का कहना है कि जब तक उनकी फसल तैयार होगी, तब तक आलू की कीमत 15 से 20 रुपये हो जाएगी. परिवहन का खर्च भी हमें ही करना होगा.
बोआई देर से तो आमदनी भी कम
कृषि पदाधिकारी ललित कुमार दास के अनुसार अच्छे किसान सितंबर माह में ही आलू की बोआई करते हैं. इससे समय पर पैदावार होती है और कीमत भी अच्छी मिलती है. इस वर्ष अक्टूबर तक बारिश होने के कारण कई किसानों ने बोआई देर से की. इस कारण पैदावार में गिरावट आई है. पैदावार में गिरावट से किसानों को उम्मीदों के अनुरूप लाभ मिल पाना संभव नजर नहीं आ रहा है.
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