Maithan : मैथन (Maithan) ऑल झारखंड आदिवासी सोशल एजुकेशन एवं कल्चरल एसोसिएशन (आसेका) का वार्षिक सम्मेलन 11 दिसंबर रविवार को डीवीसी, मैथन श्रम कल्याण केंद्र में संपन्न हुआ. सम्मेलन का उदघाटन महासचिव डॉ सुबोध हंसदा एवं मुख्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. पश्चिम बंगाल आसेका के महासचिव डॉ सुबोध हांसदा ने कहा कि मातृभूमि की तरह मातृभाषा को भी आदिवासी समाज अपनाएं, ताकि समाज की पहचान बनी रहे. संथाली भाषा भारत की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, जिसे अथक प्रयास के बाद भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. इसलिए संथाली समाज को अपनी मातृभाषा में शिक्षा के साथ समाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे अपनी मातृभाषा को भूलते जा रहे हैं, जिससे समाज पर गहरा आघात पड़ रहा है. उन्होंने झारखंड आदिवासी सामाजिक सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संस्था के माध्यम से पूरे राज्य में आदिवासियों के उत्थान एवं सांस्कृतिक समृद्धि के लिए काम करने का सुझाव दिया.
सम्मेलन में आसेका के डॉक्टर सुनील हंसदा, मदनमोहन बास्की, गुरुपद हांसदा, बाबूलाल हांसदा, साहेब सोरेन आदि ने भी संथाली भाषा एवं आदिवासी समाज के उत्थान के लिए अपने विचार रखे. सम्मेलन में आदिवासी नृत्य-संगीत प्रस्तुत किया गया एवं समाज से जुड़ी कलाकृतियों को भी प्रदर्शित किया गया. कार्यक्रम को सफल बनाने में आसेका के अंकित टूडू, सुनील हेंब्रम, ओबी हेंब्रम, बाबूराम मुर्मु, जगरनाथ सोरेन, सुनील मरांडी, छोटू लाल हेंब्रम, मुनी सोरेन, बालेश्वर हेंब्रम, बाबूजान हेंब्रम आदि का सराहनीय योगदान रहा.