Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) गुजरते समय के साथ कपड़ों के फैशन में भी बदलाव आया है, जिसका सीधा असर शूटिंग शर्टिंग तैयार करने वाले टेलर मास्टरों ( दर्जी) पर भी पड़ा है. उनका कहना है कि शूटिंग शर्टिंग के क्रेज में 90 प्रतिशत तक गिरावट आ गई है. एक दशक पूर्व दुर्गा पूजा के 2 माह पहले से ही शहर के टेलर मास्टरों के पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं होती थी. मगर अब दुर्गा पूजा के मार्केट में ग्राहकों की बाट जोह रहे हैं. सबसे बड़ा कारण है युवाओं का रेडीमेड कपड़ों की ओर आकर्षण.
युवा पीढ़ी की पहली पसंद बनी जींस, टी शर्ट
युवा वर्ग अब अपने कपड़े किसी दर्जी से सिलवाना पसंद नहीं करते. जींस, टी शर्ट के साथ कई नए मॉडलों के कपड़े पहनना उन्हें ज्यादा पसंद है. टेलर मास्टरों के पास अब ऐसे लोगों की भीड़ नहीं लगती. दुकानदारी 10 से 15 प्रतिशत पर ही सिमट गई है. रेडिमेड कपड़े के कारोबारियों ने भी इसे स्वीकारा है. सिलाई के मूल्य बढ़ने से भी शूटिंग शर्टिंग से युवाओं ने दूरी बना ली है. आज एक सेट शर्ट पेंट की सिलाई 700 रुपये है, जो एक दशक पहले मात्र 200 से 225 रुपये होती थी. युवा अजय कुमार बताते हैं कि नए फैशन के अनुसार जीन्स और टी शर्ट 1000 रुपये में मिल जाता है. अगर कपड़े लेकर दर्जी से सिलवाया जाए तो महंगा पड़ जाता है. कपड़े में ही 12से 1300 लग जाएंगे और टेलर को 700 अलग, इसीलिए कम पैसे में रेडिमेड ही अच्छा विकल्प है.
कभी लगती थी लंबी लाइन,अब बाट जोह रहे लोगों की
वर्षों से टेलर की दुकान चला रहे मास्टर अयूब अंसारी बताते हैं कि 48 वर्ष पूर्व 12 रुपये में एक सेट कपड़ा बनाते थे और उस समय से वर्ष 2003 – 2004 तक दुर्गापूजा में कपड़े सिलवाने के लिए ग्राहकों की लंबी लाइन लगी होती थी. वर्ष 2004 के बाद से बाजार मंदा होता चला गया और आज पूजा के मार्केट में मात्र 10 सेट कपड़े बनाने का आर्डर आया है.
सिर्फ यादें रह गई आज, बदल गया लोगों का मिजाज
तीन दशक से इस व्यवसाय से जुड़े हीरापुर के श्याम टेलर कहते हैं, एक जमाना था जब दुर्गा पूजा, होली जैसे बड़े पर्व त्योहारों पर लोग कपड़े के थान से शर्ट पैंट सिलवाया करते थे. परंतु जब से मार्केट में जींस और टी-शर्ट आया है, तब से लोगों का मिजाज ही बदल गया है. नई पीढ़ी के युवा अब फैशन को तरजीह दे रहे हैं.
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