Nirsa : शहरी विकास अभिकरण (सूडा) के निदेशक अमित कुमार के निर्देश के बावजूद चिरकुंडा नप के वार्ड 21 में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम अधूरा पड़ा है. कुछ माह पूर्व चिरकुंडा दौरे पर आए सूडा निदेशक ने निर्माण एजेंसी पायोनियर के निदेशक अरुण कुमार सिंह को 15 अक्टूबर तक काम पूरा करने का निर्देश दिया था. 22 अक्टूबर को वर्चुअल समीक्षा में सूडा निदेशक ने 15 नवंबर तक काम पूरा करने का निर्देश दिया. बावजूद अभी चहारदीवारी का काम भी पूरा नहीं हुआ है. कचरा पृथक्कीकरण प्लांट निर्माण भी अधूरा है. निरीक्षण में कंपनी ने सूडा निदेशक से 20 दिन में चहारदीवारी का काम पूरा करने का वादा किया, लेकिन वह भी अधूरा पड़ा है.
कचरा निष्पादन भी नहीं कर रही कंपनी
पायोनियर एमएसडब्लूएम चिरकुंडा प्राइवेट लिमिटेड का चिरकुंडा नप से 20 वर्ष के लिए जुलाई 2018 में इकरारनामा हुआ था. इकरारनामा के अनुसार सभी 21 वार्ड में डोर टू डोर कचरा संग्रह के साथ कचरा पृथक्कीकरण का प्लांट भी लगाना था. इकरारनामा के बाद कुछ वार्ड में डोर टू डोर कचरा संग्रह का काम प्रारंभ हुआ और संग्रह किया हुआ कचरा चिन्हित जमीन पर गिराया जाने लगा, लेकिन आज तक वेस्ट टू कंपोस्ट प्लांट का निर्माण नहीं हो सका है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डोर टू डोर कचरा संग्रह व उसके निष्पादन के लिए कंपनी को 1400 रुपये प्रति टन भुगतान किया जाना है. कचरा निष्पादन नहीं होने की स्थिति में 85 प्रतिशत का भुगतान किया जा रहा है.
कंपनी को हो चुका है 1.5 करोड़ का भुगतान
इकरारनामा के समय प्रतिदिन 12 टन कचरा का उठाव का वादा था, जिसे धीरे-धीरे बढ़ाना था. कंपनी वर्तमान समय में सभी वार्ड में डोर टू डोर कचरा संग्रह का काम भी नहीं कर रही है. वैसे सभी 21 वार्ड से कचरा उठाव एजेंसी कर रही है, लेकिन उसका पृथक्कीकरण नहीं किया जा रहा है. सूखा व गीला कचरा को अलग-अलग कर उसका निष्पादन करना है. नप की ओर से सिर्फ कचरा उठाव में अबतक लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. परंतु जिस मकसद से कंपनी के साथ इकरारनामा हुआ था, वह पूरा होता नहीं दिख रहा है. इस पूरे मामले में चिरकुंडा नगर परिषद के सिटी मैनेजर मुकेश निरंजन से जानना चाहा तो उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. हालांकि स्वीकार किया कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का काम अभी तक पूरा नहीं हो सका है. बताया कि अभी तक नगर परिषद 1.5 करोड़ का भुगतान कर चुका है.
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