Pravin Kumar
Ranchi : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक बच्चे की मौत के मामले में सात लाख रुपये मुआवजा भुगतान का आदेश दिया है. यह मामला झारखंड के गिरिडीह जिले के देवरी प्रखंड का है, जहां उत्क्रमित मध्य विद्यालय जमडीहा में एक बच्चे की गड्ढे में गिरने से मौत हो गयी थी. इस मामले की सुनवाई 29 मार्च 2022 को सुनवाई पूरी हो गयी. आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि सरकारी लापरवाही की वजह से बच्चे की मौत हुई है. इसलिये मुख्य सचिव के माध्यम से पीड़ित परिवार को चार सप्ताह के भीतर सात लाख रूपये भुगतान करे. साथ ही आयोग ने आदेश में पीड़ित परिवार को मुआवाजे की राशि का भुगतान कर आयोग को सूचित करने की भी बात कही है.
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क्या है पूरा मामला
देवरी प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय जमडीहा में शौचालय निर्माण के लिये गड्ढा खोदा गया था.जानकारी के अनुसार जमडीहा गांव निवासी गुड्डू वर्मा के पुत्र सुमंत (6 साल) की इसी गड्ढे में गिरकर मौत हो गयी. विद्यालय के एक पारा शिक्षक ने सुमंत को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवरी पहुंचाया था, जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस खबर के प्रकाश में आने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्त्ता ओंकार विश्वकर्मा द्वारा 28 अगस्त 2019 को इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज करवाया गया था. जिस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने वाद संख्या 979/34/34/2019-DH दर्ज करते हुए कार्यवाही शुरू की थी. इसके लिये आयोग ने पुलिस अधीक्षक गिरिडीह से रिपोर्ट तलब की थी. इस मामले के लम्बा वाद चलने के बाद 29 मार्च 2022 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव को सात लाख रुपये मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया.
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आयोग को सरकार के संयुक्त सचिव ने भेजी थी रिपोर्ट
आयोग के समक्ष झारखंड सरकार के संयुक्त सचिव के भेजे रिपोर्ट में कहा गया है कि 27 अगस्त 2019 को प्रार्थना के बाद एक छात्र ने शिक्षक को सूचना दी कि एक लड़का गड्ढे में पड़ा है.सभी शिक्षक मौके पर पहुंचे और उसे बाहर निकाला.इसके बाद शिक्षक उसे अस्पताल ले गये. जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. सरकार की ओर से भेजी गयी रिपोर्ट में बच्चे को स्कूल का छात्रा नहीं होने की बात बतायी गयी. साथ ही बच्चे का स्कूल में पंजीकृत नहीं होने का सक्ष्य भी आयोग को सौंपा था.
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आयोग ने आदेश में कहा सरकार जिम्मेवारी से भाग नहीं सकती
आयोग ने अपनी कार्यवाही में सात दिंसबर 2021 को पूरे मामले को संजीदा के साथ देख वाद के सुनवाई में आयोग की ओर से कहा गया कि स्कूल की “रिकॉर्ड में गड्ढा खोदा गया था और उसे ऐसे ही छोड़ दिया गया था. इस पर किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार लड़के की उक्त गड्ढे में गिरकर मौत हो गयी. सरकार की ओर से रखे गये तर्क कि जिस लड़के की मौत हुई है वह स्कूल का छात्र नहीं है.
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सिर्फ इसलिए कि लड़का स्कूल का छात्र नहीं था इसलिय मौत की जिम्मेवारी से बचा नहीं जा सकता. भविष्य में किसी की मौत गड्ढे में गिरने से हो सकती थी.अगर गड्ढे को ढ़ंक दिया गया होता तो एक लड़के की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को टाला जा सकता था. इस प्रकार विद्यालय की ओर से घोर लापरवाही बरती गयी है. जिससे बच्चे की जान चली गयी. पूरे मामले में झारखंड के मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. आयोग ने अपने आदेश में झारखंड सरकार से कहा कि पीड़ित परिवार को सात लाख रुपये मुआवजा चार सप्ताह के भीतर दे.