Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) कोयले का शहर धनबाद, जहां, धन के साथ धुआं और आग के साथ उम्मीदें भी हैं. नगर निगम उन उम्मीदों को हवा देता है. विकास के बड़े-बड़े सपने दिखाता है. योजनाएं बनाता है. मगर दूसरे ही क्षण धनबाद वासियों की सारी उम्मीदें कपूर की तरह तब काफूर हो जाती हैं, जब योजनाएं धरातल पर नहीं उतरती. अगर उतरती भी हैं तो अपना असर ही खो देती हैं. सारी योजानाओं को अमल में लाने के लिए नगर निगम के अधिकारी तो पास हो जाते हैं, मगर नागरिक हर हाल में फेल हो जाते हैं.
रांची, जमशेदपुर के बाद राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शहर धनबाद धन-धान्य से पूर्ण होने के बावजूद कुछ मामूली सुविधाओं के लिए भी तरस कर रह जाता है तो अधिकारियों पर भी तरस आता है. नगर निगम के दायरे में झरिया, कतरास जैसे दो बड़े कोयला क्षेत्र हैं, जो धनबाद, शहर का हिस्सा हैं. इन जगहों को बेहतर सुविधाओं से लैस करने के लिए अमृत योजना, स्वच्छ भारत अभियान तथा ग्रीन धनबाद की योजनाएं बनी. इन योजनाओं पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. बावजूद बदलाव की बयार नहीं बही. नहीं है. बदलाव यह हुआ कि कुछ लोग मालामाल हो गए, कई लोग रसूखदारों की फेहरिस्त में शामिल हो गए, तो कुछ लोगों को चेहरा चमकाने का आईना नसीब हो गया. नागरिकों के पास उनका मुंह देख कर सिर धुनने के अलावा कोई चारा ही नहीं.
अमृत योजना सभी घरों तक नहीं पहुंचा सकी पानी
हक घर तक स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए अमृत योजना बनी. मगर धरातल पर सूखा ही नजर आ रहा है. सिर्फ रिव्यू मीटिंग होती रहती है. इधर सभी घरों के लोग पानी पहुंचने की आस में अफसोस का घूंट पीकर प्यास बुझाने के लिए विवश हैं. पहले चरण में 166 करोड़ की लागत से वार्ड 1 से 13 तथा दूसरे चरण में 296 करोड़ की लागत से वार्ड 33 से 52 तक पाइप लाइन से लोगों तक पानी पहुंचाना था. इस काम को पूरा करने की समय सीमा 36 माह तय की गई थी. मगर समय गुजर जाने के बाद आज भी सवाल का जवाब मिलता है कि काम चल रहा है. धनबाद शहरी जलापूर्ति योजना फेज टू के तहत 579.89 करोड़ रुपये की लागत पर मैथन से भेलाटांड समानांतर पाइप बिछाने के साथ वाटर रिजर्वायर का काम पड़ा हुआ है. एनओसी के पेच में यह काम कई बार रुक चुका है. 570 किमी की परिधि में पाइप लाइन का नेटर्वक बिछाने के साथ 76 हजार 79 घरों में पानी पहुंचाना है. दो साल से यह योजना पूरी होने की आस में है. अब भी उम्मीदों से काम चलाया जा रहा है.
अब भी खुले में शौच करने को विवश हैं लोग
वर्ष 2017 में धनबाद शहर को खुले में शौच से मुक्त कर दिया गया था. खूब ढोल भी बजे थे. परंतु आज भी कोलियरी क्षेत्र में लोग हर दिन खुले में शौच करते मिल जाएंगे. 6 हजार लोग तो शौचालय का पैसा लेकर धनबाद से ही गायब हो चुके है. 70 मॉड्यूलर टॉयलेट भी अब किसी काम के नहीं रहे. 5 हजार व्यक्तिगत शौचालय में सेप्टिक टैंक नही है. 15 सामुदायिक शौचालय में कभी पानी की व्यवस्था ही नहीं हो सकी. शहर की ज्यादातर खुली नालियों की नियमित सफाई भी नही होती है. सभी वार्डो में हर दिन झाड़ू भी नहीं लगता है. आधी से अधिक फॉगिंग मशीन, रोड स्विपिंग मशीन भी बेकार पड़ी है. सिर्फ कहने के लिए शहर को स्वच्छ भारत का हिस्सा मान लिया गया है.
अब सीएनजी और एसी की बारी
6 करोड़ की लागत से वर्ष 2014 में खरीदी गई ज्यादातर बसें खराब पड़ी हैं. सिर्फ 6 सिटी बसें ही शहर में कभी कभी दिख जाती हैं. इधर नगर निगम, 108 सीएनजी बसें खरीदने की तैयारी में भिड़ा हुआ है. इसके अलावा एसी की सुविधा से लैस 12 इलेक्ट्रिक बसें भी होंगी. ग्रीन एयर प्रोग्राम के तहत खरीदारी की तैयारी हो रही है. हो सकता है अग ले वर्ष मार्च तक ऐसी बसें सड़कों पर उतर आए. ये बसे शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में भी चलेंगी. अब यह कितना कारगर हो सकेगा, यह तो वक्त ही बताएगा.
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