Dhanbad: तमाम सरकारी सुविधाओं के बावजूद जीटी रोड पर हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. हर माह तेज रफ्तार के कारण दर्जनों लोग हादसे के शिकार हो रहे है. सरकारी आंकड़ों की बात करें तो सिर्फ विगत दिसंबर माह में जीटी रोड पर 30 लोगों की जान जा चुकी है,जबकि एनएचएआई ने हादसे के शिकार लोगों की मदद के लिए 1033 टॉल फ्री नंबर भी जारी किया है. सुखद यात्रा एप और मैथन से बरवाअड्डा तक पेट्रोलिंग टीम भी तैनात रहती है. लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इन सुविधाओं का लाभ नहीं ले रहे हैं.
जीटी रोड पर सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट
तोपचांची से मैथन तक जीटी रोड का हिस्सा धनबाद जिले के अंतर्गत आता है. जिले भर में 24 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किये गए हैं, जिनमें 12 सिर्फ जीटी रोड पर है. सर्वाधिक हादसे भी इसी सड़क पर होते हैं. सबसे बड़ा कारण है तेज रफ्तार. इसके अलावा गलत रूट और यातायात नियमों की अनदेखी भी है.
कट बंद होने से भी बढ़ी दुर्घटना
जीटी रोड की 6 लेनिंग के दौरान एनएचएआई ने कई कट बंद कर दिये हैं. अब लोग शॉर्ट कट के चक्कर में जहां तहां से रोड क्रास करते हैं और अपनी जान गंवा रहे हैं. कट खोलने या अन्य वैकल्पिक व्यवस्था की मांग को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि कई बार आवाज भी उठा चुके हैं. परंतु एनएचएआई के अधिकारियों पर कोई असर नहीं हुआ है.
क्या है टॉल फ्री नंबर
केंद्र सरकार ने देश के सभी राष्ट्रीय राज मार्ग पर हादसे के शिकार लोगों को मदद पहुंचाने के लिए पिछले साल ही1033 टॉल फ़्री नंबर और सुखद यात्रा एप लांच किया था. इस टॉल फ्री नंबर के लिये देश के छह राज्यों में कॉल सेंटर खोले गए हैं. यह सेंटर 24&7 डेज काम करता है. हिंदी, इंग्लिश के अलावा स्थानीय भाषा में भी इस पर अपनी सूचनाएं पहुंचाई जा सकती है. जीटी रोड पर हादसा या गाड़ी ब्रेकडाउन होने की स्थिति में इस नंबर पर कॉल कर मदद ली जा सकती है.
क्या कहते हैं जवाबदेह
एनएचएआई धनबाद इकाई के प्रोजेक्ट ऑफिसर सुधीर कुमार कहते हैं कि टॉल फ्री नंबर पूरे देश में संचालित होता है. परंतु हर दिन आने वाले कॉल और हादसे के शिकार लोगों का आंकड़ा बता पाना मुश्किल है. एनएच पर पेट्रोलिंग पार्टी सालों भर लोगों की सेवा में लगी रहती है. जहां तक जानकारी के अभाव की बात है तो जीटी रोड पर हर जगह यह नंबर मिल जाएगा. हादसों को कम करने के लिये ब्लैक स्पॉट पर सुरक्षा के उपाय व यातयात नियमों से संबंधित साइनेज लगाये जा रहे हैं. दुर्घटना वाले क्षेत्रों में दिशा-निर्देश के संकेतक भी लगाये जा रहे हैं. हाइवे में सभी जगह कट नहीं दिया जा सकता. ज्यादातर लोग अपनी गलतियों की वजह से हादसे के शिकार होते हैं.
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