Jamshedpur : सेंट्रल गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (सीजीपीसी) के प्रधान गुरमुख सिंह मुखे को तख्त पटना साहिब के जत्थेदार द्वारा हटाए जाने के फरमान और पांच सदस्यीय कमेटी को जांच सौंपे जाने के पत्र के आलोक में डीसी के निर्देश पर गुरुवार को जिला सहकारिता पदाधिकारी जगदीश हाजरा साकची स्थित सीजीपीसी कार्यालय पहुंचे. उनके साथ एक मजिस्ट्रेट भी थे. प्रशासन की टीम ने प्रधान मुखे को पत्र सौंप उसका जवाब मांगा है. जवाब देने के लिए उन्हें छह दिन की मोहलत दी गई है. इसी के साथ ही अब मुखे की मुश्किलें थोड़ी बढ़ गई हैं. वे पत्र का जवाब देने की तैयारी में लग गए हैं. मुखे ने बताया कि जत्थेदार जी के पत्र का जवाब मांगा गया है. वे उसका जवाब तैयार कर रहे हैं. 2015 के तख्त श्री हरिमंदिर जी अमृतसर के आदेश का हवाला देते हुए अपना जवाब सौंपेंगे. मालूम हो कि पिछले दिनों मुखे पर बिल्ला पर फायरिंग करने के मामले में जत्थेदार ने एक पांच सदस्यीय कमेटी बनाते हुए सीजीपीसी का चार्ज लेने का आदेश दिया था. कहा गया था कि जब तक वे मुकदमे से बरी नहीं हो जाते तब तक वे किसी भी धार्मिक कमेटी में नहीं रह सकते. उधर, सीजीपीसी का चार्ज लेने के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय कमेटी भी गुपचुप रणनीति बनाने में लगी हुई है. शुक्रवार को भी टेल्को में उस गुट के लोगों ने बैठक कर सीजीपीसी पर चार्ज लेने की रणनीति बनाई.
तख्त साहिब के जत्थेदार पर भी जिच शुरू
उधर, पटना तख्त साहिब के पुराने जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह को पुनः बहाल करने का कोर्ट ने आदेश दिया है. इसे लेकर पटना साहिब में जिच शुरू हो गई है. वैसी परिस्थिति में अगर दोनों जत्थेदारों को बरकरार रखा जाता है तो भी जमशेदपुर की सिख राजनीति में एक हुए शैलेंद्र-इंद्रजीत गुट ही भारी रहेगा, क्योंकि ज्ञानी रंजीत सिंह इंदरजीत सिंह के तो ज्ञानी इकबाल सिंह शैलेंद्र सिंह के करीबी रहे हैं. बहरहाल, इस संबंध में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. वैसी परिस्थितियों को अनुकूल देखते हुए भी पांच सदस्यीय कमेटी अपनी रणनीति पर काम कर रही है.