लाइव लगातार खबर का असर
Dumka : महिला आरक्षी सरोज बिरहोर के गर्भ में पल रहे 7 माह के शिशु की मौत के मामले में रांची एसआईआरबी एसआई दामोदर पर गाज गिरी है. उन्हें पद से बर्खास्त कर दिया गया है. दुमका एसपी अंबर लकड़ा ने बताया कि सरोज बिरहोर 40 दिन पहले दुमका आई थी. इससे पूर्व वे रांची में पदस्थापित थी. एसआई दामोदर ने उन्हें दुमका भेजने में सही तरीके का इस्तेमाल नहीं किया. उन्हें पद से तत्काल बर्खास्त कर दिया गया है. सरोज बिरहोर जनजातीय समुदाय की है.
सरोज की दर्दनाक दास्तां को लाइव लगातार ने प्रमुखता से दिखाया था. सरोज एसआईआरबी की पहाड़िया बटालियन में कार्यरत है. पूर्व में भी उसके गर्भ में पल रहे 3 महीने की शिशु की मौत हो चुकी है. फिर उसके गर्भ में दूसरे शिशु की मौत हुई है. रांची के डॉक्टर ने उन्हें इलाज कराने और आराम की सलाह दी थी. विभागीय अधिकारियों ने उसे रांची से सिमडेगा भेज दिया. रांची में इलाज की सुविधा को देखते हुए वह सिमडेगा नहीं जाना चाहती थी. अधिकारियों से सिमडेगी नहीं भेजने की विनती भी की, लेकिन अधिकारी अपने जिद पर अड़े रहे. इस बीच अधिकारियों ने रांची से दुमका का कमान भी काट दिया. मजबूरन उसे दुमका आना पड़ा. भागदौड़ में उसके गर्भ में पल रहे 7 माह के शिशु की मौत हो गई.
विभागीय अधिकारियों के रवैये से गोद हुई सूनी
सरोज बिरहोर ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि विभागीय अधिकारियों के रवैये से मेरी गोद सूनी हुई. मेरी परेशानी को विभागीय अधिकारियों ने नजरअंदाज किया. चिकित्सक ने आराम करने की सलाह दी थी. अधिकारी मेरी स्थिति से वाकिफ थे. बावजूद इसके रांची से दुमका के लिए कमान काट दिए. 1 मार्च को लंबी दूरी तय कर दुमका पहुंची. उसके बाद से लगातार तबियत खराब रहने लगी. 5 मार्च को एहसास हुआ कि गर्भस्थ शिशु हिलना-डुलना बंद कर दिया है. डॉक्टर के पास जाने पर पता चला कि बच्चे की हालत ठीक नही है. धीरे धीरे हालत और ज्यादा बिगड़ने लगी. पेट धीरे-धीरे फुलता जा रहा था. स्थिति बिगड़ते देख परिजनों ने 14 अप्रैल को निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया. अल्ट्रासोनोग्राफी रिपोर्ट में बच्चा पेट में मृत पाया गया. 17 अप्रैल को ऑपरेशन कर मृत शिशु को पेट से निकाला गया. डॉक्टरों ने मुझे बचा लिए लेकिन बच्चे को नहीं बचा सके. सरोज के अनुसार गर्भवती होने के बाद से परेशानी शुरू हो गई थी. विभागीय डॉक्टर को भी स्थिति से अवगत कराया, लेकिन उन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. विभागीय अधिकारियों ने सहयोग के बजाए भगोड़ा और बदचलन करार देकर रिपोर्ट आगे बढ़ा दी. काम में लापरवाही का आरोप लगाकर पेंमेंट पर भी रोक लगा दी गई.
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