Anand Singh
Lagatar Desk : यूक्रेन और रूस की लड़ाई तो 109 दिनों से चल रही है. यह लड़ाई और कितने दिनों तक चलेगी, किसी को नहीं पता. यूक्रेन के कई शहर खंडहर हो गए हैं. कीव में भी दोनों देशों की सेनाओं के बीच घनघोर युद्ध छिड़ा हुआ है. लेकिन Lagatara.in आज आपको रूसी राष्ट्रवाद का एक ऐसा चेहरा दिखाने जा रहा है, जिसे पढ़ कर आप भी कह उठेंगे. क्या गजब का कंट्री है रूस.
आपने बर्गर तो कई बार खाए ही होंगे. अलग-अलग टेस्ट, अलग-अलग साइज के बर्गर भी आपने खाए होंगे. रूस में 24 फरवरी के पहले तक अमेरिकी कंपनी मैकडोनाल्ड्स की कई फूड चेन्स थी. जब यूक्रेन और रूस के बीच वार शुरू हुआ, तो मैकडोनाल्ड्स कंपनी ने अपना बोरिया-बिस्तर बांधा और चली गई अमेरिका. रूस में मैकडोनाल्ड्स को समझाया गया कि यहां युद्ध का डर नहीं है. यूक्रेन जीवन में कभी रूस तक नहीं पहुंच पाएगा. आप अपना बिजनेस चलाते रहें. जो दिक्कत होगी, हम दूर करेंगे. आप हमारे ही साथ रहें. लेकिन मैकडोनाल्ड्स को यह बात समझ में नहीं आई. अंततः वह अमेरिका लौट गई.
इसे भी पढ़ें – स्लॉटर हाउस मामला : HC ने निगम और खाद्य सुरक्षा विभाग पर लगाया जुर्माना, पढ़ें पूरी डिटेल
मैकडोनाल्ड्स गई, वकुस्त्रो टोचका आई
अब रूस की बारी थी. एक रूसी व्यापारी ने रूस की सरकार से उसी स्थान पर अपना फूड चेन चलाने की मांग की, जहां मैकडोनाल्ड्स का फूड कोर्ट था. रूस की सरकार ने न सिर्फ उस रशियन कंपनी को अनुमति दी, बल्कि यह भी वादा किया कि आप इसे चलाएं. जो भी मदद की जरूरत होगी, हम करेंगे. उस रशियन कंपनी ने मैकडोनाल्ड्स के स्थान पर अपना लोगो लगाया और बर्गर बनाना शुरू किया.
कंपनी का नाम रखा- वकुस्त्रो टोचका
शुरुआत के दिनों में इक्के-दुक्के लोग ही बर्गर खाने को आते थे. अधिकांश वक्त तक दुकान खुली रहती थी, कस्टमर नदारद. कंपनी के मालिक अलेक्जेंडर गोवर को लगा कि कहीं वह गलत फैसला तो नहीं कर बैठे.
आरएंडडी किया तो नया आइडिया आया
फिर उन्होंने जब आरएंडडी किया तो वह चहुंक उठे. उन्होंने सबसे पहले बर्गर का साइज बड़ा किया. बर्गर का शेप भी चेंज कर दिया. एक बर्गर उन्होंने ऐसा बनाया जो मास्कोवा युद्दपोत की तरह दिखता था. मास्कोवा युद्धपोत को यूक्रेन की सेना ने समुद्र में डुबो दिया था. इस युद्धपोत से रूस की जनता के सेंटीमेंट जुड़े हुए हैं.
जनता के सेंटीमेंट को भुनाया कंपनी ने
इसके डूब जाने से रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन तक हिल गए थे, जनता भी गमगीन थी. मास्कोवा के नाम पर जो बर्गर बनाया गया, उसकी लूट मच गई. एक ही दिन में लाखों रूबल की कमाई हो गई. फिर क्या था. कंपनी के मालिक अलेक्जेंडर गोवर रोज नए-नए साइज और नाम से बर्गर बनाने लगे.
सुखोई-57, एएन-19 जैसे घातक हथियारों के नाम पर बर्गर बनाए
कभी सुखोई-57, कभी मास्कोवा, कभी एएन 19 नाम के बर्गर बनाए जाने लगे, तो कभी अत्यंत घातक मिसाइल केएच-22, किंजल आदि के नाम पर बर्गर बनाया जाने लगा. इन बर्गरों को लेकर रूस की जनता में गजब का उत्साह देखा गया.
स्वाद तो ऑलमोस्ट सामान्य बर्गरों वाला ही रहा पर नाम और साइज बदल गया. इसके साथ ही प्रचार के तौर-तरीके भी बदल गए. अब आलम यह है कि मॉस्को में उक्त दुकान के खुलते ही लोग बर्गर की डिमांड शुरू कर देते हैं. अच्छी बात यह है कि दुकान का स्टाफ किसी को नाराज नहीं करता.
कंपनी के मालिक अलेक्जेंडर गोवर के अनुसार, हम लोगों के भीतर देशभक्ति की भावना फैलाने में काफी हद तक सफल रहे हैं. बिजनेस तो अपनी जगह पर है ही. एक युद्धग्रस्त देश में अगर लोग उस देश के महान युद्धपोत के नाम पर बने बर्गर को खाने के लिए मीलों दूर से चल कर आते हैं, तो मुझे लगता है कि मेरी मेहनत सफल हो गई. तो, ये थी रूसी बर्गर की कहानी.
इसे भी पढ़ें –IAS पूजा सिंघल प्रकरण : प्रेम प्रकाश से ईडी कर रही पूछताछ