Vinit Upadhyay
Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय ( ED) ने झारखंड के मुख्य सचिव को एक बार फिर पत्र लिखा है. अपने पत्र में कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग के केस में आरोपी निलंबित IAS अधिकारी पूजा सिंघल पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और अफसरों से उगाही के मामले में प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई. इस संबंध में ED का यह दूसरा पत्र है. इससे पहले भी एजेंसी ने पत्राचार कर पूजा सिंघल के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पूजा सिंघल को गिरफ्तार करने वाले प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में इस तथ्य का उल्लेख किया है. तत्कालीन डीएसपी (मुख्यालय) पतंजलि मिश्रा ने मनरेगा से जुड़े मामलों की जांच की थी. 18.06 करोड़ रुपये के संयुक्त गबन से संबंधित कुल 16 प्राथमिकी दर्ज की गईं. पूजा सिंघल 16 फरवरी 2009 से 19 जुलाई 2010 की अवधि के दौरान खूंटी जिले की उपायुक्त थीं. वह विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए निधि की मंजूरी के लिए प्रमुख प्राधिकारी थीं.
पूजा सिंघल दो पैन कार्ड और कई बैंक खातों में जमा धन का इस्तेमाल करती थी
ईडी ने दावा किया है कि पूजा सिंघल को उक्त अवधि के दौरान विभिन्न बैंकों में कई खातों में बड़ी मात्रा में नकद जमा करते हुए पाया गया था. वह अपने नाम से दो पैन नंबर यानी ARZPS2447R और AMQPS9964B रख रही थी. ईडी ने कहा है कि जांच के दौरान यह पाया गया कि वह उन खातों में नकद जमा करती थी और नकदी को डिमांड ड्राफ्ट में परिवर्तित करती थी. फिर लंबी अवधि के लिए बीमा पॉलिसियां खरीदती थी और पॉलिसी को समय से पहले बंद कर देती थी. आय का उपयोग कई निवेशों के लिए करती थी. पल्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का स्वामित्व उनके और उनके परिवार के पास है, इसमें कहा गया कि पूजा सिंघल और उनके पति इतनी बड़ी जमा राशि के स्रोत के बारे में नहीं बता सके थे.
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