Ranchi : टेंडर घोटालों और अवैध खनन मामलों की जांच कर रही ईडी टीम की साहिबगंज में सड़क निर्माण परियोजनाओं पर भी नजर है. गौरतलब है कि साहिबगंज जिले में पिछले कुछ वर्षों में कुछ सड़क निर्माण परियोजनाओं के टेंडर में कथित गड़बड़ी ने ईडी का ध्यान आकर्षित किया है. कुछ ठेकेदारों को कई महत्वपूर्ण सड़कों जैसे बरहरवा-बरहेट, बोरियो-राजमहल, साहिबगंज-बरहेट और अन्य के निर्माण के लिए टेंडर दिये गये हैं. कुछ परियोजनाएं – जैसे सड़क, चेक बांध और पड़ोसी गोड्डा जिले की अन्य परियोजनाएं भी ईडी की जांच के दायरे में हैं.
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पावरफुल सिंडिकेट के निर्देश पर ठेका दिया गया
आरोप है कि एक पावरफुल सिंडिकेट के निर्देश पर कुछ चुनिंदा व्यक्तियों को ये ठेके दिए गए थे, जिसके लिए फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया था. आरोप है कि इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है. अवैध खनन की जांच मूल रूप से साहिबगंज जिले के बरहरवा पुलिस स्टेशन में पाकुड़ के व्यवसायी शंभु नंदन कुमार द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी से हुई थी, उन्होंने झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम, सीएम हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को नीलामी में भाग लेने से रोकने के लिए नामित किया. प्रवर्तन निदेशालय की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि पावरफुल राजनेताओं और उनके सहयोगियों के एक सिंडिकेट ने विशेष रूप से संथाल परगना जिलों में सरकारी टेंडर को हथियाने के लिए कई प्रॉक्सी फर्मों का गठन किया था.
आलमगीर आलम की भूमिका की जांच कर रही ईडी
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि संदिग्ध साख वाली सात से आठ फर्मों को मुख्य रूप से फ्रंट कंपनियों के रूप में इस्तेमाल किया गया था. मुख्य कंपनी को टेंडर हथियाने में मदद करने के लिए इन संस्थाओं ने टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया. ईडी इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या मंत्री आलमगीर आलम और अन्य राजनेताओं ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से टेंडर के प्रबंधन में हस्तक्षेप किया और अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया.
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