New Delhi : लोकसभा की आचार समिति ने पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने से जुड़े आरोपों के मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा का पांच नवंबर के बाद उन्हें बुलाने का अनुरोध शनिवार को अस्वीकार कर दिया. खबर है कि उनकी पेशी की तारीख पूर्व निर्धारित तिथि से दो दिन आगे खिसकाकर दो नवंबर कर दी. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
STORY | Cash-for-query case: Lok Sabha panel asks Mahua Moitra to appear on Nov 2, says no further extension will be granted
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— Press Trust of India (@PTI_News) October 28, 2023
भाजपा सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने मोइत्रा से कड़े लहजे में कहा कि वह मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और संसद के साथ साथ उसके सदस्यों की गरिमा पर इसके कारण पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए किसी भी कारण से विस्तार के किसी अन्य अनुरोध पर विचार नहीं करेगी.
मोइत्रा ने कहा, समिति के समक्ष 31 अक्टूबर को उपस्थित नहीं हो पायेंगी
जान लें कि मोइत्रा ने उन पर लगे आरोपो की जांच कर रही आचार समिति को शुक्रवार को पत्र लिखकर कहा था कि वह भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा उनके खिलाफ लगाये गये आरोपों के मामले में अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के कारण समिति के समक्ष 31 अक्टूबर को उपस्थित नहीं हो पायेंगी. कहा था कि वह पांच नवंबर के बाद ही पेश हो सकेंगी. लोकसभा सचिवालय ने शनिवार को मोइत्रा से कहा, ‘आचार समिति के अध्यक्ष ने समिति के समक्ष पेश होने की तारीख आगे बढ़ाने के आपके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है.
समिति की बैठक का कार्यक्रम फिर से तय किया जा रहा है. आपके व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए दो नवंबर की तारीख तय की गयी है. दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को 15 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में मोइत्रा पर अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाने के लिए उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के कहने पर लोकसभा में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने और लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है.
वकील देहाद्रई और दुबे ने मोइत्रा के खिलाफ आचार समिति को साक्ष्य सौंपे
उन्होंने शिकायत में कहा था कि किसी समय मोइत्रा के करीबी रहे देहाद्रई ने मोइत्रा और हीरानंदानी के बीच अडानी समूह तथा मोदी पर निशाना साधने के लिए रिश्वत के लेनदेन के ऐसे साक्ष्य साझा किये हैं जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता. इस मामले में गुरुवार को वकील जय अनंत देहाद्रई और दुबे ने मोइत्रा के खिलाफ आचार समिति को मौखिक साक्ष्य सौंपे थे.
मोइत्रा ने कहा था कि उन्हें दुबे और देहाद्रई द्वारा उनके खिलाफ लगाये गये झूठे, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक आरोपों के खिलाफ खुद का बचाव करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए और मामले की निष्पक्ष सुनवाई होनी चाहिए.
मोइत्रा ने मीडिया के समक्ष अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया
मोइत्रा ने मीडिया से बातचीत के दौरान अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज किया, लेकिन यह बात स्वीकार की कि हीरानंदानी उनके दोस्त रहे हैं और उन्होंने अपनी ओर से सवाल टाइप कराने के लिए उनके साथ अपने संसदीय पोर्टल का लॉगिन विवरण साझा किया था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सिर्फ उन्होंने मदद लेने के लिए किया था और इसमें कोई गड़बड़ नहीं थी. दुबे ने कहा है कि किसी के साथ लॉगिन विवरण साझा करना पोर्टल का प्रबंधन करने वाली सरकारी संस्था (एनआईसी) के साथ समझौते का उल्लंघन है और यह सुरक्षा के लिए खतरा है.