Ranchi : 4200 मेगावाट बिजली उत्पादन करने के बाद भी झारखंड महज 200 से 300 मेगावाट बिजली के लिए तरस रहा है. पूरे राज्य में 5 से 14 घंटे तक लोड शेडिंग हो रही है. सिर्फ राजधानी रांची में 5 से 8 घंटे तक लोड शेडिंग हो रही है. पूरा शहर इस भीषण गर्मी में लोड शेडिंग से दिन-रात परेशान है. झारखंड में आम तौर पर 2200 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है. गर्मी में खास कर पीक आवर में बिजली की डिमांड 2600 मेगावाट पहुंच गई है. ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार के मुताबिक झारखंड में इन दिनों 250 से 300 मेगावाट बिजली की कमी हो रही है. इसे दूर करने के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड पावर पर्चेजिंग एग्रीमेंट के मुताबिक पावर प्लांटों से बिजली खरीद भी रहा है, लेकिन डिमांड के मुताबिक बिजली नहीं मिल पा रही है.
झारखंड की बिजली दूसरे प्रदेशों को कर रही रोशन, यहां चिराग तले अंधेरा
ऐसा नहीं है कि झारखंड में बिजली की कमी है. यहां बड़े पैमाने पर बिजली पैदा हो रही है. इतनी बिजली की दूसरे राज्य झारखंड में बनी बिजली से रौशन हो रहे हैं और झारखंड अंधेरे में रह रहा है. झारखंड में पावर प्लांटों से कुल क्षमता प्रतिदिन 4825 मेगावाट बिजली उत्पादित करने की है. हर रोज 4240 मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन भी हो रहा है, लेकिन राज्य को इनमें से सिर्फ 1240 यूनिट ही बिजली मिल रही है. बाकी 3000 मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों को भेजी जा रही है.
12 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदकर भी कमी पूरी नहीं कर पा रहा जेबीवीएनएल
झारखंड में डीवीसी 2000 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहा है, जिसमें से सिर्फ 600 मेगावाट झारखंड को मिल रहा है, जबकि बाकी की 1400 मेगावाट बिजली दिल्ली और पंजाब चली जाती है. वहीं मैथन पावर से 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन यह बिजली झारखंड को न मिलकर केरल, दिल्ली और पंजाब को चली जाती है. क्योंकि इनका झारखंड के साथ पावर परचेज एग्रीमेंट नहीं है. झारखंड को आधुनिक पावर से उत्पादित बिजली में 190 मेगावाट मिलती है. इनलैंड पावर से 55 मेगावाट, टीवीएनएल से 350 मेगावाट और एनटीपीसी से 490 मेगावाट बिजली मिल रही है. बिजली की डिमांड बढ़ने पर जेबीवीएनएल नेशनल पावर एक्सचेंज से 12 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीदकर आपूर्ति कर रही है.
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