- झारखंड में योजना के कार्यों की शुरुआत पहली दिसंबर से होगी
Ranchi : बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह की पहल एवं उनके अथक प्रयासों से झारखंड 22 साल बाद प्रमुख फसलों की खेती लागत डाटा खुद बनायेगा. इससे राज्य के किसानों को फायदा मिलेगा. भारत सरकार द्वारा पूरे देश में 1970 से प्रमुख फसलों की खेती लागत योजना का संचालन किया जा रहा है. इस योजना के तहत विभिन्न राज्यों से एकत्रित डाटा संग्रह के माध्यम से ही केंद्रीय कृषि लागत एजेंसी विभिन्न प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थित मूल्य निर्धारित करती है. यह कार्य अब तक बिहार के राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में होता था. बिहार से ही अबतक झारखंड से सबंधित डाटा एकत्रित हो रही थी.
स्थानीय किसानों को मिलेगा लाभ- रुचिका गुप्ता
22 वर्षों बाद इस योजना को झारखंड में लांच किया जा रहा है, जिससे यहां के किसानों के हितों की रक्षा और स्थानीय किसानों को लाभ मिलेगा. भारत सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की परामर्शी रुचिका गुप्ता ने बतौर मुख्य अतिथि तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर यह बात कही. उन्होंने कहा कि इस योजना में किसानों के साथ उचित व्यवहार एवं लगाव के साथ सटीक डाटा का संग्रह महत्वपूर्ण है. डाटा का संग्रह सॉफ्टवेयर आधारित होगा, जिसे दैनिक आधार पर नित्य डाटा की एंट्री करनी होगी. इसका झारखंड कार्यान्वयन एजेंसी – बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा नियमित की जायेगी.
बीएयू के लिए बड़े गौरव की बात- कुलपति
बीएयू कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि भारत सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय के सौजन्य से राज्य में इस मेगा प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन से प्रदेश के अन्नदाता किसानों के हितों की रक्षा सुगम होगी. परियोजना के अधीन झारखंड कार्यान्वयन एजेंसी से जुड़े लोगों को भगवान बिरसा मुंडा से प्रेरणा लेकर कार्यों को सफलीभूत करें. योजना में सटीक डाटा संग्रह एवं उसकी विश्वसनीयता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी. इसकी सफलता विश्वविद्यालय के लिए बड़े गौरव की बात होगी.
राज्य के 15 केंद्रों में योजना का होगा कार्यान्वयन
विशिष्ट अतिथि भारत सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय की परामर्शी हनी सीएच ने प्रतिभागियों को योजना के प्रशासनिक मार्गदर्शिका की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि योजना की झारखंड कार्यान्वयन एजेंसी – बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से राज्य के 15 केन्द्रों में योजना का कार्यान्वयन होगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों को मास्टर ट्रेनर्स की ट्रेनिंग दी जायेगी, जिन्हें डाटा संग्रह की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जिम्मेवारी होगी. मौके पर डीन एग्रीकल्चर डॉ एसके पाल ने स्वागत भाषण में योजना का महत्त्व एवं उद्देश्य पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम का संचालन बिरसा हरियाली रेडियो की समन्यवयक शशि सिंह ने की. धन्यवाद ज्ञापन में योजना के नोडल पदाधिकारी डॉ बीके झा ने बताया कि झारखंड में योजना के कार्यों की शुरुआत पहली दिसंबर से होगी.
14 प्रतिभागी सहित कुल 39 लोग ले रहे हैं भाग
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में झारखंड कार्यान्वयन एजेंसी के मुख्यालय एवं विभिन्न केन्द्रों से फील्ड इन्वेस्टीगैटर, फील्ड मैन, सांख्यिकी सहायक एवं कंप्यूटर ऑपरेटर सहित कुल 25 प्रतिभागी तथा बिहार कार्यान्वयन एजेंसी – राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा से जुड़े 14 प्रतिभागियों सहित कुल 39 लोग भाग ले रहे हैं. मौके पर भारत सरकार के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी निदेशालय के प्रतिनिधि विनोद जी तलाशी, आरके थपलियाल, निधि वर्णवाल एवं वंदना खुल्लर, बिहार से डॉ अनिरुद्ध राय व डॉ राजेन्द्र प्रसाद तथा बीएयू के डॉ एमएस मल्लिक, डॉ पीके सिंह, डॉ बीके अग्रवाल, ई डीके रूसिया मौजूद थे.
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