Shailesh singh
Kiriburu : सारंडा के सुदूरवर्ती गांव जहां बाहरी लोगों की गतिविधियां व आवागमन लगभग शून्य होने के कारण अब तक सारंडा के गांवों में कोरोना संक्रमण का असर नहीं दिखाई दे रहा है. ग्रामीणों को मौसमी बीमारी सर्दी, खांसी व बुखार अवश्य है, लेकिन वह सामान्य व चेचक की वजह से है, न कि कोरोना की वजह से. अगर गांवों में बाहरी लोगों का आवागमन बढे़गा तो संभव है कि कोरोना भी उनके साथ हमारे गांवों में प्रवेश कर जाए. सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम, लेम्ब्रे गांव के मुंडा लेबेया देवगम ने बताया कि उनके गांव में लोगों का घर आपस में दूर-दूर अर्थात सोशल डिस्टेंसिंग की तरह बना है.
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अगर गांव के लोग दूर-दराज के हाट-बाजार से और अन्य लोग बाहर से कोरोना संक्रमण लेकर जब तक गांव में नहीं आते हैं तब तक गांव में कोरोना संक्रमण नहीं फैलेगा. वर्तमान में कोरोना का असर गांवों में नहीं है, लेकिन भविष्य को लेकर गांव में तैयारी जारी है. सारंडा के जामकुंडिया गांव के ग्रामीणों ने गांव सीमा के अंदर जंगल में स्थित छह घरों को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया है, ताकि गांव से रोजगार हेतु बाहर गए 25 ग्रामीण अगर गांव में आते हैं तो उन्हें 14 दिनों तक क्वारेंटाइन कर रखा जा सके. सारंडा पीढ़ के मानकी सह जामकुंडिया गाँव निवासी लागुड़ा देवगम ने बताया कि छोटानागरा पंचायत के 10 गांवों से लगभग 150 बेरोजगार युवक रोजगार के लिए महाराष्ट्र, बेंगलोर, रायगढ़, गुजरात, चेन्नई, तमिलनाडु, हरियाणा, दिल्ली आदि शहरों में गए हैं.