Ranchi : मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल प्रतियोगिता के आयोजन को लेकर सवाल उठने लगे हैं. इसमें भाग लेने वाले खिलाड़ियों ने अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए इस योजना को संचालित करने वाले अधिकारियों- कर्मियों की लापरवाही और योजना प्रक्रिया की खामियों को उजागर किया है. ज्यादातर खिलाड़ियों ने दुखी मन से कहा है कि प्रतियोगिता में खेलने के लिए न तो उन्हें किट और जर्सी दी गई और न ही उनकी शिकायतों पर गौर किया गया. कई जगह तो खिलाड़ी बिना जर्सी और जूते के ही खेलते देखे गए. इसलिए इसमें सुधार की जरुरत है, तभी यह योजना अपने उद्देश्य को पूरा कर पाएगा. इस बार जो प्रतियोगिता हो रही है, वह महज खानपूर्ति लग रही है. फिलहाल अधिकतर पंचायतों, प्रखंडों और जिलास्तर पर प्रतियोगिताएं हो चुकी है और यह योजना अपने अंतिम चरण में है. शुभम संदेश ने विभिन्न जिलों के इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों से इस मुद्दे पर बात की. प्रस्तुत है रिपोर्ट…
दोषी पदाधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो : रविंदर लागुरी
पश्चिमी सिंहभूम जिला के जगन्नाथपुर के रविंदर लागुरी का कहना है कि आयोजनकर्ताओं ने जर्सी व जूता देने की बात कही थी. पर प्रखंड विकास पदाधिकारी की गलती कहें या जिला के पदाधिकारियों की, हम खिलाड़ियों को सही समय पर जर्सी या जूता नहीं मिल पाया. हम लोग कितना आस लेकर गए थे कि नया जूता व जर्सी सेट पहनकर खेलेंगे. पर ऐसा नहीं हुआ. इससे हम जैसे ग्रामीण क्षेत्र के खिलाडि़यों के मनोबल पर असर पड़ता है. इस पर सरकार को जो दोषी पदाधिकारी हैं उनके खिलाफ ठोस कदम उठाना चाहिए.
पुराने किट से खेलने से निराशा : सोमनाथ बोबोंगा
पश्चिमी सिंहभूम जिला के जगन्नाथपुर के कलैया पंचायत के सोमनाथ बोबोंगा का कहना है कि प्रखंड की ओर से हम लोगों को जर्सी सेट देने की बात कही गई थी. पर हम खिलाड़ियों को निराश होकर पुरानी जर्सी और जूता पहन कर ही खेल खेलना पड़ा. खिलाडि़यों के बीच इसे प्रशासन और प्रखंड के जिम्मेदार पदाधिकारी के खिलाफ काफी नाराजगी है. सरकार जब कोई भी कार्यक्रम चलाता है तो सही समय पर खिलाड़ियों को उनके खेलने का सामान जैसे जर्सी सेट व जूता देना चाहिए. अब इसके जिम्मेदार कौन हैं. जिसकी लापरवाही है उसके खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
सरकार की योजना कागज पर : अयुष्य गोप
पश्चिमी सिंहभूम जिला के जगन्नाथपुर के डांगुवापोसी के अयुष्य गोप का कहना है कि सरकार की हर योजना बस कागज व कालम पर है. जमीनी हकीकत में कुछ और ही है. सरकार ने अगर सभी खिलाड़ियों को जर्सी सेट देने की बात कही थी तो किसके कारण सही समय पर हम लोगों को जर्सी नहीं मिली. पिछले बार भी हम लोग खेले थे. उस वक्त भी जर्सी सेट नहीं मिली थी. ऐसे में जनता सरकार पर कैसे विश्वास करेगी. अधिकतर खिलाड़ी नई जर्सी मिलने की आस में पुरानी जर्सी भी नहीं लाए थे. उन्हें तो और भी गुस्सा आया.
जर्सी नहीं मिलने पर बहुत बुरा लगता है: संजय कुमार
जगन्नाथपुर के संजय कुमार का कहना है कि सही समय पर जर्सी नहीं मिलने पर बहुत बुरा लगता है. प्रशासन की ओर से इतना विलंब करना चिंताजनक है. यह कैसी व्यवस्था है. इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए. मुख्यमंत्री फुटबॉल प्रतियोगिता का खिलाडि़यों को साल भर से इंतजार रहता है. यह गांव-गांव तक काफी लोकप्रिय हो गया है. लेकिन अगर समय पर खेलने का सामान नहीं मिलेगा तो असंतोष होता है. खेल से ध्यान हट जाता है. प्रतियोगिता से जुड़े पदाधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए कि सही समय पर सारा सामान मिले.
समय पर जर्सी नहीं देने पर गुस्सा: विदेशी कुम्हार
जगन्नाथपुर के विदेशी कुम्हार का कहना है कि मुख्यमंत्री फुटबॉल प्रतियोगिता कराना बहुत ही अच्छी बात है. लेकिन सही समय पर प्रशासन की ओर से जर्सी सेट नहीं देने पर हम खिलाड़ियों में बहुत ही गुस्सा है. पुरानी जर्सी या बिना जर्सी के खेलने पर उत्साह में कमी आ जाती है. हमें पूरी उम्मीद थी कि इस बार समय पर जर्सी व जूते मिल जाएंगे लेकिन प्रतियोगिता से जुड़े आयोजकों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. इसके लिये किसको जिम्मेदार ठहराएं, समझ नहीं आ रहा. इतनी बड़ी प्रतियोगिता को लेकर इसी तरह लापरवाही बरती गई तो खिलाडि़यों का मन छोटा हो जाएगा.
खिलाड़यों की परेशानियां नहीं सुनी गईं : मुकेश यादव
हजारीबाग के बड़कागांव के खिलाड़ी मुकेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल प्रतियोगिता में खिलाड़यों की परेशानियों को नहीं सुना जा रहा था. आयोजक की ओर से कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया था. खुद के पास जो था, उसी से काम चलाया. न जर्सी, न बूट कुछ भी नहीं मिला. भोजन-पानी की भी व्यवस्था अच्छी नहीं थी. सरकारी को चाहिए कि इस दिशा में ध्यान दे. किट और जर्सी समय पर दिए जाने से खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ता है और प्रतियोगिता का स्तर में भी वृद्धि होती है.
खेल के दौरान अफरा-तफरी का माहौल था : रानी कुमारी
हजारीबाग की खिलाड़ी रानी कुमारी ने बताया कि मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल कप प्रतियोगिता के दौरान अफरातफरी का माहौल था. भोजन-पानी की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी. खाने के पैकेट में महज पांच पुड़ियां दी गई थी. जर्सी और बूट भी खुद से व्यवस्था की थी. अपने बलबूते प्रतियोगिता में भाग लिया. आयोजकों को खिलाड़ियों की सुविधाओं से कोई लेना-देना नहीं था. इससे खिलाड़ियों का खेल प्रभावित हुआ है. आने वाले दिनों में इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो इस प्रतियोगित के स्तर में गिरावट आएगी.
भोजन-पानी की भी नहीं थी व्यवस्था : चरका यादव
हजारीबाग के चुरचू के खिलाड़ी राहुल कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री आमंत्रण आमंत्रण फुटबॉल कप प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों के लिए अच्छी व्यवस्था नहीं थी. न भोजन-पानी की सुविधा बेहतर थी और न ही मैच में सही निर्णय लिया जा रहा था. कई खिलाड़ी रेफरी के निर्णय से संतुष्ट नहीं थे. जिस टीम में बोरो प्लेयर खेल रहे थे, उन्हें जगह मिली हुई थी और जिस टीम में प्लेयर सही थे, उन्हें बैठाया जा रहा था. सरकारी को इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है.किट और जर्सी समय पर दिए जाने से खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ता है.
बेहतर व्यवस्था नहीं थी : सुजीत कुमार यादव
हजारीबाग के बरकट्ठा से भागीदारी निभानेवाले खिलाड़ी सुजीत कुमार यादव कहते हैं कि आयोजन के दौरान अफरातफरी का माहौल रहा. खिलाड़ियों के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं थी. भोजन-पानी का मामला हो या फिर किसी खिलाड़ी की बात सुनने और सुनाने की. वहां बोलने पर कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा था. किसी भी चीज की असुविधा होने पर कोई देखने या सुननेवाला नहीं था. उन्होंने खेल के दौरान ग्लुकोज खोजा, तो कोई सुननेवाला नहीं था. इससे बहुत निराशा हुई.
जर्सी के लिए पैसे देने की कही गई थी बात : रूपेश यादव
हजारीबाग के इचाक के रूपेश यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री आमंत्रण आमंत्रण फुटबॉल कप प्रतियोगिता में बूट और जर्सी के लिए पैसे देने की बात कही गई थी. लेकिन न जर्सी मिली और न ही बूट. खिलाड़ियों की बातों को वहां तरजीह ही नहीं दिया जा रहा था. आयोजन समिति की ओर से बस यही कहा जा रहा था कि जाइए खेलिए. अगर कोई समस्या बताई जाती थी, तो उसे टाल-मटोल कर दिया जाता था.इससे सभी खिलाड़ी निराश थे.इसमें सुधार की जरुरत है. तभी
प्रतियोगिता के स्तर में सुधार आएगा.
प्रतियोगिता के नाम पर कोरम पूरा कर रहे हैं: आरएन मुर्मू
जमशेदपुर के पूर्वी सिंहभूम एथलेटिक्स एसोसिएशन के सचिव आरएन मुर्मू का कहना है कि झारखंड में खेल नीति लागू है. लेकिन उक्त नीति के अनुसार कार्य योजना नहीं बन रही है. खेलो झारखंड अथवा आमंत्रण कप फुटबॉल प्रतियोगिता प्रत्येक वर्ष होती है. इसके लिये बजट तैयार होता है. लेकिन सही ढंग से उसका क्रियान्वयन नहीं हो पाता है. जिसके कारण लाभ से खिलाड़ी वंचित रह जाते हैं. यही हाल इस वर्ष मुख्यमंत्री आमंत्रण कप फुटबॉल प्रतियोगिता में भाग ले रहे खिलाड़ियों के साथ हुआ. आवंटन के वावजूद उन्हें समय पर किट नहीं मिल पाया.
प्रतियोगिता से पहले मिले किट व जर्सी : केराई रजनी
जमशेदपुर प्रखंड के जसकंडी ग्राम की रहने वाली राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल खिलाड़ी केराई रजनी का कहना है कि खेल के मैदान पर खिलाड़ी केवल खेल भावना से खेलता है. उसका उद्देश्य केवल मैच जितना रहता है. लेकिन इसमें सभी खिलाड़ियो का योगदान जरूरी है. इसी तरह खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिये सरकार के स्तर से मिलने वाली सुविधाएं जैसे किट, जर्सी एवं अन्य सामग्री समय पर मिलने से वे नियमित प्रैक्टिस कर पाते हैं. जमशेदपुर में प्रखंडस्तरीय मैच खत्म होने के बाद खेल किट प्रदान किया गया.
विभाग से जुड़े अधिकारी ही जिम्मेदार हैं: एसबी सिंह
जमशेदपुर फुटबॉल एसोसिएशन के रेफरी डिपार्टमेंट के चेयरमैन एसबी सिंह ने बताया कि झारखंड में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है. लेकिन उसे सही रास्ता दिखाने वाला कोई नहीं है. खिलाड़ियों के लिये खेल पॉलिसी बन गई है. लेकिन उसका अनुपालन समय पर नहीं हो पा रहा है. खिलाड़ियो को खेल किट एवं जर्सी समय पर नहीं मिल पाता है. मुख्यमंत्री आमंत्रण कप फुटबॉल प्रतियोगिता में बगैर जर्सी के खिलाड़ी खेल रहे हैं. इसके लिये राज्यस्तर से लेकर जिलास्तर के खेल से जुड़े पदाधिकारी एवं एसोसिएशन जिम्मेदार हैं.
न जर्सी और न ही जूते दिए गए : कमला कुमारी
लातेहार प्रखंड की बालिका टीम की सदस्य कमला कुमारी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल कप में लातेहार प्रखंड का प्रतिनिधित्व किया था. हालांकि उनकी टीम फाइनल तक नहीं पहुंच पायी थी. उनकी टीम को न तो जर्सी दी गयी थी और न ही जूते दिये गये थे. इस कारण खेलने में परेशानी हो रही थी. अगर जूते होते तो हमारा खेल और अधिक बेहतर होता.इससे खिलाड़ियों में नाराजगी है. सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है. इससे प्रतियोगिता का स्तर भी प्रभावित होता है.
पुराने जूते से ही हमें मैच खेलना पड़ा : दिलीप उरांव
लातेहार प्रखंड के बालक टीम के सदस्य दिलीप उरांव ने भी बताया कि बालक टीम को जर्सी व जूते नहीं दिये गये. उन्होंने खुद पुराना जूता से मैच खेला. कई खिलाड़ी तो बगैर जूते के भी मैच खेले. जर्सी व जूता मिलने से टीम का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे दुगने उत्साह से प्रदर्शन कर पाते हैं. पुराने जूते व जर्सी पहन कर खेलने से हताशा का भाव आता है. सरकारी स्तर पर इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है.किट और जर्सी समय पर दिए जाने से खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ता है. दूसरी ओर उन्हें खेलने में अच्छा लगता है.
एकरूपता नहीं होने से मनोबल गिरता है : खताब अहमद
पश्चिमी सिंहभूम के मझगांव जिले के प्लस टू उच्च विद्यालय मझगांव के फुटबॉल खिलाड़ी खताब अहमद ने कहा कि मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल प्रतियोगिता के दौरान 11 दिसंबर को फुटबॉल मैच खेला गया. लेकिन मैच के दौरान बिना जर्सी के ही खेलना पड़ा. टूर्नामेंट के बाद विभाग की ओर से जर्सी और जूता दिए गए. अगर पहले से जूते और जर्सी मिलती तो खेलने में ज्यादा आनंद आता. खेल के दौरान खिलाड़ियों के ड्रेस में एकरूपता नहीं होने के कारण मनोबल गिरता है. इस कमी पर सरकार को ध्यान देना चाहिए.
पता करें, जर्सी व जूता बांटने में विलंब क्यों हुआ : भानुप्रिया पान
पश्चिमी सिंहभूम के मझगांव जिले के प्लस टू उच्च विद्यालय मझगांव की फुटबॉल खिलाड़ी भानुप्रिया पान ने कहा कि मुख्यमंत्री आमंत्रण खेल प्रतियोगिता में बिना ड्रेस कोड के खेलना पड़ा. जो जूता और जर्सी बाद में दिए गए. अगर वह खेल के पहले दे दिए जाते तो प्रतियोगिता में भाग लेने का उत्साह बढ़ जाता. सरकार का पैसा तो खर्च हुआ ही लेकिन अधिकारियों की तत्परता में कमी से ही यह विलंब हुआ होगा. सरकार को देखना होगा कि किस कारण से जर्सी व जूता बांटने में विलंब हुआ. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो अगले साल भी यही स्थिति होगी.
बिना तैयारी के प्रतियोगिता का आयोजन : मो. आफताब
गिरिडीह के फुटबॉल खिलाड़ी मो.आफताब का कहना है कि झारखंड सरकार ने बिना किसी तैयारी के फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कर दिया. हम न तो ठीक से तैयारी कर सके और न ही हमें जर्सी या फुटबॉल किट दी गई. गिरिडीह स्टेडियम में भोजन की क्वालिटी भी साधारण थी. सरकार को इन खामियों पर गौर करना चाहिए. ताकि आनेवाले दिनों में एक उच्च स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन हो सके. सरकारी स्तर पर इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है.किट और जर्सी समय पर दिए जाने की जरुरत है.
हमें जर्सी और किट नहीं दी गई : मो.जुबेर
गिरिडीह के फुटबॉल खिलाड़ी मो.जुबेर का कहना है कि जिला खेल संघ को खिलाड़ियों के लिए सभी व्यवस्था करनी थी. हमें पुरानी जर्सी पहनकर मैच खेलना पड़ा. साथ ही हमें फुटबॉल की किट नहीं दिया गया. भोजन की व्यवस्था भी सामान्य थी. इससे खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है और इसका असर खेल पर भी पड़ता है. इस पर ध्यान देने की जरुरत है.तभी खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ेगा. साथ ही खेल के स्तर में भी सुधार आएगा. इसके बिना इसकी लोकप्रियता में कमी आएगी.
गिरिडीह स्टेडियम में उचित व्यवस्था नहीं : मो.आजम
गिरिडीह के फुटबॉल खिलाड़ी मो.आजम का कहना है कि खिलाड़ियों के लिए गिरिडीह स्टेडियम में उचित व्यवस्था नहीं थी. झारखंड सरकार ने काफी जल्दबाजी में फुटबॉल प्रातियोगिता का आयोजन कर दिया. हमें ठीक से अभ्यास करने का वक्त नहीं मिला. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कदम उठाना चाहिए ताकि आनेवाले दिनों में ऐसी समस्या न हो. इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है.किट और जर्सी समय पर दिए जाने से उत्साह बढ़ता है. साथ ही खिलाड़ियों को खेलने में अच्छा लगता है.
सरकार ने मौका दिया, यही बहुत है : जयश्री गोराई
धनबाद के बलियापुर की जयश्री गोराई ने कहा कि हम सब ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं. यहां लड़के और लड़कियों को खेल में आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से बहुत ही अच्छा मौका मिल रहा है. उन्होंने बताया कि फिलहाल जर्सी नहीं मिली है लेकिन एक-दो दिन में जर्सी मिल जाएगी. यह अच्छी बात है कि सरकार ने हमें खेलने का मौका दिया है. उसका हमें लाभ उठाना चाहिए.मैं तो खेल रही हूं और मुझे अच्छा लग रहा है. वैसे उम्मीद करती हूं कि आने वाले दिनों में प्रतियोगिता आयोजन में सुधार आएगा.
ट्रेनिंग में असुविधा है तो किट कहां से मिलेगी : मोमिता सहिश
धनबाद के निरसा प्रखंड स्थित उबचुरिया पंचायत के मोमिता सहिश ने कहा कि सरकार की ओर से अब तक जर्सी और किट उपलब्ध नहीं कराई गई है. अपने क्षेत्र में कोच नहीं है. जिस कारण 10 से 12 किलोमीटर दूर जाकर ट्रेनिंग करनी पड़ती है. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में ध्यान दें. सुविधाओं के रहने से प्रतियोगिता का स्तर बढ़ता है. साथ ही खिलाड़ियों को खेलने में मजा आता है. पर अभी जो प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है उसमें बहुत सारी खामियां हैं.
जर्सी देने की बात तो थी, मगर मिली कहां : विश्वजीत बाउरी
धनबाद के विश्वजीत बाउरी ने बताया कि अब तक सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया है. इस बार जर्सी देने की बात कही गई है. इससे पहले अब तक कोई जर्सी और किट उपलब्ध नहीं कराई गई. इससे खिलाड़ियों को काफी असुविधा का समाना करना पड़ा. सरकारी स्तर पर इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है.किट और जर्सी समय पर दिए जाने से खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ता है. साथ ही उन्हें खेलने में अच्छा लगता है और उनका मनोबल भी बढ़ता है.
प्रमाण पत्र ही दें तो प्रोत्साहन मिल जाए: देवेंद्र मरांडी
धनबाद के देवेंद्र मरांडी ने बताया कि मुख्यमंत्री आमंत्रण फुटबॉल प्रतियोगिता के खेले गए मैच में प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाता है. प्रमाण पत्र मिलने से हम सब को प्रोत्साहन मिल पाता.सरकार को इतना तो करना ही चाहिए. इससे खिलाड़ियों का मनोवल भी बढ़ेगा. इस समय प्रतियोगिता में बहुत सारी खामियां नजर आ रही है. समय पर खिलाड़ियों को न तो किट ही दी गई और न ही जर्सी . इससे खिलाड़ियों में नाराजगी है. सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है. इससे प्रतियोगिता का स्तर बढ़ेगा.
जर्सी से लेकर फुटबॉल तक के लिए तरस गए : जयचंद हांसदा
धनबाद के जयचंद हासदा ने बताया कि जर्सी से लेकर फुटबॉल की कोई व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से ग्रामीण खिलाड़ी खेलने से वंचित हो जाते हैं. इससे पहले भी न तो किसी ने जर्सी और ना ही अन्य साधन उपलब्ध कराया है. सरकार को चाहिए कि इस दिशा में ध्यान दे.समय पर जर्सी और जूते मिलने से खिलाड़ियों के खेलने में मजा आता है. उनका मनोबल भी बढ़ता है. जर्सी और किट नहीं मिलने से खिलाड़ियों को बहुत मुश्किलों का समना करना पड़ा. उम्मीद है सरकार आगे इस पर ध्यान देगी.
पैसे खर्च कर दूर ग्राउंड तक जाने को विवश हैं: अजय मुर्मू
पटमदा प्रखंड के धावक एसएस प्लस टू हाई स्कूल के छात्र श्यामल गोराई का कहना है कि खेलो झारखंड में खेल की शुरुआत ग्रामीण क्षेत्र से खिलाड़ियों की प्रतिभा को उजागर कर एक बेहतर प्लेटफार्म देने के उद्देश्य से की गई. लेकिन खेल के दौरान सभी खिलाड़ियों को अभाव में ही खेल में जीत हासिल करनी पड़ी. किसी भी खिलाड़ी को पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर के खेल में खेल के दौरान किसी प्रकार का पोशाक, भोजन और अन्य सुविधा नहीं दी गई. खिलाड़ी अपने बलबूते पर खेल का प्रदर्शन कर अपने मुकाम तक पहुंचने के लिये मेहनत कर रहे हैं.
सुविधा मिले तो परिणाम और होगा बेहतर: ईश्वर
पटमदा प्लस टू आदिवासी उच्च विद्यालय बांगुडदा बारहवीं के छात्र ईश्वर ने 100 और 200 मीटर के दौड़ में पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक की प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त कर राज्य स्तर की प्रतियोगिता में अपने आप को पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि विद्यालय की तरफ से मार्गदर्शन तो खेल शिक्षक द्वारा मिला लेकिन विभाग से किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिला. खेल के दौरान किसी प्रकार का ड्रेस, भोजन और अन्य सुविधा नहीं दी गई.
खुद ही पैसे खर्च कर मैच खेलने जाते थे : दीरन कुमारी
दीरन कुमारी का कहना है कि आने जाने में हमें बहुत दिक्कत हुआ, हमें भाड़ा भी नहीं दिया गया. खुद के पैसों से हम मैच खेलने जाते थे. किट अभी तक हमें नहीं दिया गया. कोई सुविधा नहीं मिली. प्रखंड में बीडीओ, सीओ मैच तक देखने नहीं आते थे. हमें मुखिया ने सपोर्ट किया.सरकारी स्तर पर इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है. जर्सी समय पर दिए जाने से खिलाड़ियों में उत्साह बढ़ता है. साथ ही उन्हें खेलने में अच्छा लगता है.
इस कुव्यवस्था के जिम्मेवार मुखिया हैं : जीत कुमार
जीत कुमार ने कहा कि सबसे पहले तो इस कुव्यवस्था के जिम्मवार मुखिया हैं. पंचायत स्तर पर मैच जीतने पर केवल ट्रॉफ़ी मिला. पहले बोला गया था पंचायत स्तर पर जीतने पर किट मिलेगा वहां जीतने पर बोला गया प्रखंड स्तर पर जीतने पर किट मिलेगा पर वहां भी नहीं मिला. पंचायत स्तर पर केवल 10 मिनट का मैच खेला गया वहां मेडिकल का भी इंतजाम नहीं था. मुखिया को इसपर ध्यान देना चाहिए था. कोई सपोर्ट नहीं कर रहा था. मुखिया , बीडीओ, सीओ किसी ने भी आकर मैच नहीं देखा. हम अपना काम छोड़कर मैच खेलते थे.
किसी तरह की कोई सुविधा नहीं दी गई : प्रदीप उरांव
प्रदीप उरांव कहना है कि प्रखंड वालों ने कोई सुविधा नहीं दी. आलम यह था कि पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं थी. खेलने के दौरान पानी तो मिलता ही चाहिए. किट भी नहीं मिली. प्रखंड स्तर पर जीतने पर केवल मेडल दे दिया गया. इस व्यवस्था में खेलने का भी मन नहीं करता है.
नेतृत्व करने वाले ही इसके लिए जिम्मेवार हैं : संजय
संजय कुजूर ने कहा कि हमें तो कोई सुविधा नहीं मिला. न खाने को मिला और न पानी का इंतजाम था. हम अपनी किट पहन कर खेल रहे थे. कहा गया था कि नई किट मिलेगी. पर अब तक नहीं मिला. इसके लिए जो हमारा नेतृत्व कर रहे थे सबसे ज्यादा वे जिम्मेवार हैं.
विनर बनने पर भी कुछ नहीं मिला : सावन उरांव
सावन उरांव ने कहा कि हमलोग को खाना नहीं मिला. पंचायत का विनर बनने पर भी कुठ नहीं मिला. किट नहीं मिली और इतनी ठंडा पड़ रही कि ट्रैक शूट तो मिलनी ही चाहिए थी. लेकिन बस आश्वासन दिया गया. जो प्रतियोगिता करा रहे हैं वहीं इन सबके लिए जिम्मवार हैं.