Ranchi : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने जैन धर्मावलंबियों से भाजपा की चाल को समझने का आग्रह किया है. झामुमो ने कहा है कि पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर मामले में भारत सरकार ने अगस्त 2019 के केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना को वापस नहीं लिया है. बल्कि केवल पारसनाथ पर्वत क्षेत्र में ड्रग्स और तमाम नशीले पदार्थों की बिक्री करना, तेज संगीत बजाना और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने पर रोक लगाने की पहल की है. झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि झामुमो शुरू से मांग अगस्त 2019 की गजट को खत्म करने की मांग करती रही है.
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भाजपा के षड़यंत्र से झारखंड की छवि हुई खराब
पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, बीते तीन जनवरी को झामुमो ने इस बात को उठाया था कि भाजपा के षड्यंत्र से जैन धर्मावलंबी के भावना को आहत पहुंचा गया. देश-विदेश में यह प्रचार किया गया कि हेमंत सोरेन सरकार ने पारसनाथ को इको-टूरिज्म क्षेत्र घोषित किया. भाजपा की षड़यंत्र से झारखंड की छवि खराब करने की कोशिश की गयी.
अमित शाह से झामुमो के तीन सवाल
चाईबासा दौरे पर आ रहे केंद्रीय मंत्री सह भाजपा नेता अमित शाह को लेकर भी झामुमो ने निशाना साधा. सुप्रियो ने कहा, अमित शाह के दौरे के एक दिन पहले पारसनाथ मामले में भारत सरकार ने हस्तक्षेप किया. जबकि यह काम तो 2019 में ही करना चाहिए था. झामुमो नेता ने अमित शाह से तीन सवाल भी पूछा है.
पहला – सरना धर्म कोड, 1932 की खतियानी आधरित स्थानीय नीति और 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर भारत सरकार और भाजपा की सोच क्या है.
दूसरा – हेमंत सरकार के उपरोक्त तीनों प्रस्तावों को क्या आगामी बजट सत्र-2023 में समायोजित किया जाएगा कि नहीं.
तीसरा – किस परिस्थिति में आखिर जैन धर्म के सर्वोच्च पवित्र स्थल पारसनाथ को इको-टूरिज्म सेक्टर के रूप में चिन्हित किया गया.
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