11 नवंबर को बुलाया गया विशेष सत्र होगा इस साल का चौथा सत्र
दिसंबर तक सरकार शीतकालीन सत्र भी बुलायेगी
Ranchi : झारखंड में पहली बार विधानसभा का सत्र एक साल में पांच बार आयोजित किया जायेगा. फरवरी 2022 में पंचम विधानसभा का आठवां सत्र (बजट सत्र) इस साल का पहला विधानसभा सत्र था. इसके बाद 29 जुलाई से 5 अगस्त तक मॉनसून सत्र बुलाया गया. इस सत्र का अवसान (समाप्त) एक दिन पहले ही कर दिया गया. तीसरी बार 5 सितंबर को एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया, जिसमें हेमंत सरकार ने बहुमत साबित किया. इसे मॉनसून सत्र का विस्तारित सत्र कहा गया. अब चौथी बार स्थानीयता विधेयक को पारित करने के लिए 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाया गया है. इसके बाद इसी साल दिसंबर तक सरकार पांचवीं बार शीतकालीन सत्र भी बुलायेगी.
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10वां सत्र भी बिना नेता प्रतिपक्ष के चलेगा
झारखंड के पंचम विधानसभा का 10वां सत्र भी बिना नेता प्रतिपक्ष के चलेगा. सदन में इस बार भी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली रहेगी. भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को अपना नेता प्रतिपक्ष चुना है, लेकिन विधानसभा ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं दी है. दलबदल के तहत उनका मामला स्पीकर के न्यायाधिकरण में लंबित है. सत्ता पक्ष का कहना है कि भाजपा के पास दर्जनों नेता हैं. पार्टी उनका नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए आगे क्यों नहीं कर रही है. भाजपा अपनी जिद्द छोड़कर दूसरे नेता का नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए आगे करे. वहीं भाजपा बाबूलाल को ही नेता प्रतिपक्ष बनाने के मांग पर अडिग है. उसका कहना है कि सरकार बाबूलाल से डरती है, इसलिए बाबूलाल को किसी हालत में नेता प्रतिपक्ष नहीं बनने देना चाहती है.
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कहीं सारे सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के न चल जाये
झारखंड के इतिहास को देखें तो पता चलता है कि यहां स्पीकर के न्यायाधिकरण में चलने वाले दल-बदल के मामले में फैसला आते-आते बहुत देर हो जाती है. दिनेश उरांव जब स्पीकर थे, तब उनके न्यायाधिकरण में 2015 में दलबदल का मामला दर्ज किया गया था, जिसका फैसला 2019 के फरवरी महीने में आया. तबतक विधायकों का टर्म खत्म होने वाला था. इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम जब स्पीकर थे, उस वक्त भी दलबदल वाले मामले में अंतिम समय में फैसला आया था. फिलहाल बाबूलाल मामले में स्पीकर रविंद्रनाथ महतो के न्यायाधिकरण में 3 साल से सुनवाई चल रही है. कहीं ऐसा न हो कि सुनवाई पूरी होते-होते 5 साल निकल जाये और पंचम विधानसभा का पूरा सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के ही चल जाये.
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