Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़ एयरपोर्ट मामले में वन्य विभाग के अधिकारियों ने मुख्य सचिव को निगेटिव रिपोर्ट भेजी है. मिली जानकारी के अनुसार वन्य विभाग की ओर से मुख्य सचिव को भेजी गई रिपोर्ट में संबंधित भूमि को वन्य क्षेत्र होने के साथ-साथ एलीफैंट कोरिडोर बताया गया है. उक्त क्षेत्र में अक्सर हाथियों का विचरण होते रहता है. इस रिपोर्ट के बाद जमशेदपुर के सांसद ने मुख्य सचिव के समक्ष नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वन्य विभाग के अधिकारियों को झारखंड के विकास से लेना-देना नहीं है. कुछ पदाधिकारियों का मात्र यही काम रह गया है कि वे वरीय पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को दिग्भ्रमित करते रहते हैं. उन्होंने कहा ऐसे पदाधिकारियों को विकास से कोई लेना देना नहीं है. वे सिर्फ कागजी कार्रवाई कर विभिन्न प्रकार की विकास योजनाओं में अड़ंगा लगाते रहते हैं.
यहां केवल 2500-3000 पेड़, वह भी नहीं कटेंगे
सांसद श्री महतो ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट के संबंध में मुख्य सचिव को बताया कि वहां पर मुश्किल से 2500-3000 वृक्ष हैं. जबकि इस संबंध में वन विभाग के द्वारा भ्रामक सूचना उन्हें प्रदान की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पदाधिकारियों ने कहा है कि जितना वृक्ष इस एयरपोर्ट पर उपलब्ध है यह अपने आप में आवश्यक है एवं इसके कारण एयरपोर्ट की खूबसूरती काफी बढ़ जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि इतने लंबे कालखंड में कभी भी हाथियों का उस क्षेत्र में आने जाने की बात नहीं सुनी गई है.
धालभूमगढ़ व दरभंगा एयरपोर्ट पर एक साथ शुरू हुई थी बात, वहां उड़ने लगे विमान
उन्होंने यह भी कहा कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट को केंद्र सरकार ने उड़ान स्कीम के तहत चयन किया है. इसी स्कीम के तहत दरभंगा एयरपोर्ट की शुरुआत हुई थी. आज वहां पर 3 फ्लाइट से बढ़कर रोजाना लगभग 11 फ्लाइट उड़ान भर रही है. उन्होंने मुख्य सचिव को बताया कि धालभूमगढ़ एय़रपोर्ट पर 72 सीट वाला हवाई जहाज उड़ाया जा सकता है, साथ ही वर्तमान धालभूमगढ़ एयरपोर्ट का क्षेत्रफल रांची से बड़ा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि धालभूमगढ़ एयरपोर्ट की शुरुआत ना केवल कोल्हान बल्कि पूरे झारखंड के लिए विकास का एक नया द्वार खोलेगी.