LagatarDesk : नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा ने इस सृष्टि की रचना की थी. इसलिए इन्हें सृष्टि का आदि स्वरूप (आदिशक्ति) भी कहा जाता है.
मां कुष्मांडा को अष्टभुजा भी कहा जाता
कुष्मांडा देवी को अष्टभुजा भी कहा जाता है. क्योंकि इनकी आठ भुजाएं हैं. इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा होता है. आठवें हाथ में जपमाला रहता है. मां कूष्मांडा सिंह का सवारी करती हैं.
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देवी की अराधना से आयु, यश, बल में होती है वृद्धि
नवरात्रि में मां की पूजा करने से मनुष्य को समस्त सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि देवी का निवास स्थान सूर्यमंडल के मध्य है. इसलिए देवी सूर्य के समान तेज है. भक्त अगर मां कुष्मांडा की आराधना करते हैं, उनपर किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है.
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मां कुष्मांडा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मां डा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
मालपुआ का भोग लगाकर मां को करें प्रसन्न
माना जाता है कि मां कूष्मांषडा को दही और हलवा अति प्रिय है. जो भक्त मां को इन चीजों का भोग लगाते हैं. उनपर मां की कृपा सदेव बनी रहती है. मां कूष्मांडा को आप हलवे या मालपुआ का भोग भी लगा सकते हैं.