SANJAY PRASAD
Garhwa : जिले के रंका अनुमंडल क्षेत्र में इन दिनों हाथी एवं तेंदुआ का आंतक बना हुआ है. इनके डर से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. बीते डेढ़ माह में तेंदुआ ने चार लोगों को अपना शिकार बनाया है. वहीं हाथी ने लगभग सैकड़ों घरों को तोड़ दिया है. वन विभाग भी लोगों को इन जानवरों से ग्रामीणों को निजात दिलाने के लिए अथक प्रयास कर रही है. बावजूद इनके प्रयास अब तक सफल नहीं हो सके हैं. जिसके कारण ग्रामीणों में काफी गुस्सा है.
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तेंदुआ ने तीन बच्चों को बनाया शिकार
गौरतलब है कि पिछले माह तेंदुआ ने रंका अनुमंडल क्षेत्र के भंडरिया प्रखण्ड के रोदो, रमकंडा प्रखण्ड के कुशवार तथा रंका प्रखण्ड के सेवाडीह में 3 बच्चों को अपना शिकार बनाया है. इन तीनों बच्चों की जान तेंदुए की वजह से चली गयी है. तेंदुआ को पकड़ने के लिए प्रसिद्ध शिकारी रफत अली खान को भी बुलाया गया. लेकिन फिर भी तेंदुआ पकड़ा नहीं गया. शिकारी शफत अली खान 5 जनवरी से लेकर 29 जनवरी तक तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग में घुमता रहा. इसके साथ 2 वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी गोपाल चंद्रा रंका तथा कन्हैया राम भी रहें. तेंदुआ को पकड़ने के लिए कई फारेस्टर लगभग 50 वन कर्मियों को 50 गूगल ट्रैप कैमरे के साथ अभियान चलाया. इस अभियान में जंगल के जंगली जानवर बंदर, सूअर ,सियार, बिलाल, हनुमान सहित अन्य जानवर को गूगल ट्रैप कैमरों ने अपने अंदर समायोजित किया. कैमरे को तेंदुआ नहीं दिख सका.
वन विभाग तेंदुए को पकड़ने में पूरी तरह से असमर्थ
वहीं शिकारी शफत अली खान ने कहा कि उन्होंने 50 मीटर से तेंदुए को देखा, लेकिन उन्हें पकड़ा नहीं जा सका. जिसके कारण लोगों में डर है. हालांकि पिछले कई दिनों से तेंदुआ ना तो नजर आया है ना ही उसकी किसी तरह की गतिविधि दिखी है. ऐसे में ग्रामीणों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर तेंदुआ कहां गया. ग्रामीणों के बीच चर्चा है कि तेंदुआ पलामू टाइगर रिजर्व अर्थात अपने गृह में वापस चला गया है. वहीं वन विभाग इन तेंदुए को पकड़ने में पूरी तरह से असमर्थ हो गया है. शिकारी भी अवकाश लेकर अपने गृह की ओर प्रस्थान कर चुके हैं. हालांकि उनके टीम के कुछ लोग अभी भी क्षेत्र में बने हुए हैं.
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ग्रामीण इन से बचाव के लिए वन विभाग से मांग कर रहे
वहीं जिले में भी हाथियों का आंतक काफी बढ़ा हुआ है. हाथियों के डर से ग्रामीण घर में दुबक कर रहने को मजबूर हो गये हैं. हाथी गांव में घुसकर घरों को तो नुकसान पहुंचाते ही है साथ ही जानमाल का भी नुकसान होता है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां के जनप्रतिनिधि भी इस दिशा में अभी तक कोई नीति निर्धारित नहीं कर पाये है. विभाग को चाहिए कि वन प्रक्षेत्र में रहने वाले तथा उसके आसपास में रहने वाले लोगों के लिए कोई ठोस उपाय किया जाये. जिससे वो निडर हो कर जी सके. हाथियों के आतंक से ग्रामीणों को बचाने की पहल यथाशीघ्र वन पदाधिकारियों को करने की जरूरत है. अब देखना यह होगा कि वन विभाग इस दिशा में कितना पहल कर पाती है.
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