किसानों ने की मुआवजा देने की मांग
Garhwa: रंका वन प्रमंडल क्षेत्र के दो गांवों में कई एकड़ में लगे धान एवं मकई की फसल को हाथियों ने रौंद कर बर्बाद कर दिया है. सेराशाम तथा सिंजो गांव में हाथियों के झुंड ने रंका में सात बजे के आसपास सेराशाम आकर खेत में लगे धान और मकई की फसल को खाने लगे. यह देखकर तमीजुद्दीन अंसारी, मुमताज अंसारी तथा उनके परिवार के 8-10 लोगों ने लुकवारी जलाकर हाथियों को भगाया. मगर देर रात 9 हाथियों का झुंड वापस आया और मकई और धान की फसल को खाया भी और रौंदकर बर्बाद भी कर दिया. ग्रामीणों ने लुकवारी जलाकर हाथियों को भगाने का प्रयास किया, मगर हाथी चिंघारने लगे. डरकर लोग भाग खड़े हुए.
सेरशाम के बाद हाथियों का झुंड शिंजो गांव में गया. वहां भी कई किसानों के खेतों में लगे फसल को रौंद कर बर्बाद कर दिया. सुबह ग्रामीणों ने इस बात की सूचना वन विभाग को दी. वन विभाग के फॉरेस्टर विजय कुमार सिंह ने किसानों की बर्बाद हुई फसल का जायजा लिया. मुखिया प्रतिनिधि पप्पू कुमार यादव ने लोगों को मुआवजा दिलवाने का आश्वासन दिया.
पीड़ित किसानों का कहना है कि मौसम की मार के कारण एक तो महंगे दामों पर बीज खरीद कर किसी प्रकार से खेती की थी. फसल लगभग तैयार हो गई थी. हाथियों ने मेहनत पर पानी फेर दिया. मुआवजा नहीं मिला तो हमसब बर्बाद हो जाएंगे. बच्चों के लालन-पालन का कोई दूसरा साधन नहीं है हमलोगों के पास. किसान तमिज़ुद्दीन अंसारी, मुमताज अंसारी का कहना है कि लोन पर पैसा लेकर खेती की थी. अब लोन चुकाना भी काफी मुश्किल हो जाएगा. समूह के लोग प्रत्येक सप्ताह आकर पैसा की तहसीलदारी करते हैं, ऐसी स्थिति में उनका पैसा कैसे देंगे, यह सोचनीय है.
किसानों को मिलेगा मुआवजा : वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी
इस संबंध में वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी गोपाल चंद्रा ने कहा कि हाथियों के प्रवास की जगह जंगल है. उनके प्रवास स्थल को मनुष्य ने छीन लिया है. पेड़-पौधे काटकर खेत बना लिए हैं. ऐसी स्थिति में हाथी जाये तो कहां. वे अपने स्थान को खोजते हुए जंगल में भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं. उन्होंने बताया कि 70 की संख्या में दुमका तथा छत्तीसगढ़ से हाथी रंका, भंडरिया, रमकंडा, चिनिया के क्षेत्र में घुस आये हैं. उन्होंने कहा कि जितना भी किसानों का नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई वन विभाग करेगी. उन्होंने किसानों से आग्रह करते हुए कहा कि हाथियों के साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं करें.
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