Garwha : जिले के रंका अनुमंडल मुख्यालय क्षेत्र के लुकुम्बार गांव के कोरहटी टोला में आज भी आदिम जनजाति परिवार गंदा पानी पीने को विवश है. यहां 12 से 14 घर के लोग आदिम जनजाति से हैं, जो आज भी पुराने युग में जी रहे हैं. सभी सरकारी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं. वहीं कोरहटी टोला के आदिम जनजाति परिवार के प्रमोद कोरवा ने बताया कि आज तक इस गांव में बिजली नहीं पहुंची और ना ही सड़क पहुंचा और ना ही पानी का शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है. यहीं के ग्रामीण ने बताया कि हमलोग किसी तरह से जीवन यापन करने को मजबूर हैं. बार-बार गुहार लगाने पर भी इन लोगों का दर्द कोई नहीं सुनता. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं जानकारी है कि आज विश्व आदिवासी दिवस है या नहीं लेकिन इतना जरुर पता है कि भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं जो आदिवासी परिवार से आते हैं.
इसे भी पढ़ें- मनोहरपुर : कमारबेड़ा में फुटबॉल खेलने के दौरान छात्र का हाथ टूटा, राउरकेला रेफर
“शुद्ध पानी देकर हो आदिवासियों को सम्मान”
वहीं सरोज देवी बताती है कि घर से 1 किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं और गंदा पानी सब परिवार लोग के लोग पीते हैं और उससे बीमार भी होते हैं. झारखण्ड की राजधानी रांची से लेकर हर जिले में आदिवासी आदिम जनजातियों को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं और किए जाते रहे हैं. हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है कि आदिम जनजाति परिवार को सिर्फ शुद्ध पेयजल पानी देकर ही सम्मान दिया जा सकता है. अब देखने वाली बात होगी कि इस खबर के बाद जिला प्रशासन या राज्य सरकार कितना हद तक पहल कर ऐसे परिवार को लाभान्वित कर शुद्ध पेयजल व मूलभूत सुविधा मुहैया करा पाती है.
इसे भी पढ़ें- धानबाद : पीएम के हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाएं पूर्व सैनिक- पीएन सिंह