NewDelhi : फेमस जियोस्ट्रैटेजिस्ट और लेखक ब्रह्म चेलानी का मानना है कि चीन के साथ हाल में हुए समझौए में भारत ने काफी कुछ खो दिया है. इसमें सिर्फ ड्रैगन का ही फायदा दिख रहा है.चेलानी ने यह विचार शनिवार, सात अगस्त को अपने कुछ ट्वीट्स के जरिए साझा किये हैं. बता दें कि उन्होंने पीपी17ए पर दोनों देशों के पीछे हटने से संबंधित प्रेस विज्ञप्ति को साझा करते हुए ट्विट किये.
The latest Gogra disengagement announced by India is similar to the July 2020 Galwan pullback and the February 2021 Pangong region demilitarization—it allows China to literally win twice. China first encroaches, then foists a buffer zone on India formalizing a changed status quo. pic.twitter.com/Zx87Rg2St8
— Brahma Chellaney (@Chellaney) August 7, 2021
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यह चीन की जीत पर जीत है
भारत की तरफ से घोषित ताजा गोगरा डिसइन्गेजमेंट जुलाई 2020 गलवान और फरवरी 2021 के पैंगोंग क्षेत्र के विसैन्यीकरण के जैसी है. यह चीन को सचमुच दो बार जीतने की अनुमति देता है. चीन पहले अतिक्रमण करता है, फिर यथास्थिति को औपचारिक रूप देते हुए भारत पर बफर जोन थोपता है.
एक अन्य ट्वीट में कहा कि यह चीन की जीत पर जीत है. पहला- गलवान सौदा एलएसी में थोड़े बदलाव के साथ तीन किमी चौड़ा बफर जोन बनाता है. भारत अपने पैट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 14 तक पहुंच खो देता है. दूसरा- पैंगॉन्ग सौदा भारत को रणनीतिक कैलाश हाइट्स को खाली करने के लिए विवश करता है, जबकि तीसरा- गोगरा सौदा पांच किमी का बफर बनाता है, जिससे भारत पीपी-17 ए तक पहुंच खो देता है.
भारत ने चीन द्वारा गुप्त अतिक्रमण किये जाने तक गश्त की थी.
चेलानी के अनुसार पैंगॉन्ग डील के तहत, पूरे बफर ज़ोन को उस क्षेत्र पर स्थापित किया गया था, जहां भारत ने अप्रैल 2020 में चीन द्वारा अपने गुप्त अतिक्रमण किये जाने तक गश्त की थी. इसमें उस क्षेत्र का एक हिस्सा (भारतीय बेस के फिंगर्स दो और तीन से लेकर फिंगर चार तक) भी शामिल है, जिस पर चीन ने कभी दावा नहीं किया था.
बता दें कि पूर्वी लद्दाख के गोगरा में करीब 15 महीनों तक आमने-सामने रहने के बाद भारत और चीन की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है. जमीनी स्थिति को गतिरोध-पूर्व अवधि के समान बहाल कर दिया है.