Ghatshila (Rajesh Chowbey) : धरमबहाल पंचायत भवन में मानिक हांसदा की अध्यक्षता में अखिल भारतीय संताली लेखक संघ, झारखंड आसेका, मांझी पारगाना महाल, संथाली शिक्षक संघ, अखिल झारखण्ड सांताल छात्र संगठन की संयुक्त बैठक शुक्रवार को आयोजित हुई. बैठक में सर्वप्रथम झारखंड के पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक सीपी सिंह के द्वारा संथाली भाषा एवं लिपि के ऊपर दिए गए बयान की निंदा की गई. इसमें प्रमुख रूप से झारखंड शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा वर्ग 3 से 5 तक के लिए पाठ्य पुस्तक का अनुवाद संथाली भाषा में किया जा रहा है परंतु परिषद द्वारा संथाली भाषा के लिए देवनागरी लिपि प्रयोग करने का दबाव डाला जा रहा है.
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मांगे नहीं माने जाने पर आंदोलन की चेतावनी
इसमें सहमती बनी कि संथाली भाषा के लिए बनी लिपि ओलचिकी को छोड़कर इसके जगह देवनागरी का अगर संथाली भाषा के पाठ्य पुस्तकों के लिए प्रयोग किया जाता है तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. इसके साथ ही संथाली भाषा एवं ओलचिकी को राज्य में अनिवार्य किये जाने की भी मांग की. पंचानन सोरेन ने कहा कि बंगाल और उड़ीसा में ओलचिकी लिपि को बढ़ावा दिया जा रहा है, परंतु आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में संताली भाषा के विकास में कोई अभिरुचि नहीं दिया जा रहा है. हमारी मांगे नहीं माने जाने पर संताल समाज आंदोलन करने को बाध्य हो होगा.
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संताल समाज के प्रमुख रहे मौजूद
बैठक में पितम सोरेन, धारमा मुर्मू, सुकु हेम्ब्रम, सुधीर चन्द्र मुर्मू, नयन मुर्मू, भुजंग टूडु, रजनी कांत माण्डी, सुभाष चन्द्र माण्डी, मोहन चंद्र बास्के, जितेन्द्र नाथ हेम्ब्रम, मानिक हांसदा, बुद्धेश्वर बास्के, शंकर सोरेन आदि ने अपना-अपना विचार और सहमति प्रदान किया गया. इसमें विभिन्न संगठन और संताल समाज के प्रमुखों ने हिस्सा लिया. बैठक का संचालन भुजंग टूडु ने किया तथा शंकर सोरेन ने धन्यवाद ज्ञापन किया.